कल्कि
भगवान श्री विष्णुजी के अवतार / From Wikipedia, the free encyclopedia
कल्कि[1] (IAST: Kalkī ) को हिन्दू भगवान विष्णु के दसवें अवतार और विष्णु का भावी या अंतिम अवतार माना गया है।
सामान्य तथ्य कल्कि, देवनागरी ...
कल्कि | |
---|---|
विष्णु का दसवां अवतार, पापियों का नाश करने वाला और धर्म का रक्षक | |
Member of दसावतार | |
कल्कि अवतार का अनुमानित चित्र। | |
देवनागरी | कल्कि |
संस्कृत लिप्यंतरण | kalkiḥ |
तमिल लिपि | கல்கி (அவதாரம்) |
कन्नड़ लिपि | ಕಲ್ಕಿ |
संबंध | विष्णु, निष्कलंक, कलिनाशक, धर्मरक्षक |
निवासस्थान | वैकुंठ |
अस्त्र | सुदर्शन चक्र,तलवार |
युद्ध | काली राक्षस का वध |
जीवनसाथी |
पद्मा (लक्ष्मी अवतार) रमा (वैष्णो देवी अवतार) |
माता-पिता | सुमति (माँ) और विष्णुयश (पिता) |
सवारी | सफेद घोड़ा |
शास्त्र | भागवत पुराण , हरिवंश , विष्णु पुराण, महाभारत ('भगवद् गीता' ), गीत गोविंद |
त्यौहार | कल्कि जयंती |
बंद करें
वैष्णव ब्रह्माण्ड विज्ञान के अनुसार अन्तहीन चक्र वाले चार कालों में से अन्तिम कलियुग के अन्त में हिन्दू भगवान विष्णु के दसवें अवतार माने जाते हैं।[2]जब भगवान कल्कि देवदत्त नाम के घोड़े पर आरूढ़ होकर तलवार से दुष्टों का संहार करेंगे तब सतयुग का प्रारंभ होगा।[3]
धर्म ग्रंथों के अनुसार कलयुग में भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतार लेंगे। कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा।[4]
पुराणकथाओं के अनुसार कलियुग में पाप की सीमा पार होने पर विश्व में दुष्टों के संहार के लिये कल्कि अवतार प्रकट होगा।[5]