कार्तिक पूर्णिमा
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हिंदू धर्म में पूर्णिमा का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष 12 पूर्णिमाएं होती हैं। जब अधिकमास व मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 13 हो जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा व गङ्गा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। इस पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अन्त किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे।[2][3] ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। इस दिन गङ्गा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फल मिलता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन तमिलनाडु मै अरुणाचलम पर्वत की १३ किमी की परिक्रमा होती है। सब पूर्णिमा मै से ये सबसे बड़ी परिक्रमा कहलाती है । लाखों लोग यहाँ आकर परिक्रमा करके पुण्य कमाते है । अरुणाचलम पर्वत पर कार्तिक स्वामी का आश्रम है वहां उन्होंने स्कन्दपुराण का लिखान किया था ।