काशी विश्वनाथ मन्दिर
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक / From Wikipedia, the free encyclopedia
काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह भारत के उत्तर प्रदेश के प्राचीन शहर बनारस के विश्वनाथ गली में स्थित है। यह हिंदुओं के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है और भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है। यह मंदिर पिछले कई हजारों सालों से पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। मंदिर के मुख्य देवता को श्री विश्वनाथ और विश्वेश्वर के नाम से जाना जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है ब्रह्मांड के भगवान। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।[1] वाराणसी को प्राचीन काल में काशी कहा जाता था, और इसलिए इस मंदिर को लोकप्रिय रूप से काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है। मंदिर को हिंदू शास्त्रों द्वारा शैव संस्कृति में पूजा का एक केंद्रीय हिस्सा माना जाता है।
श्री काशी विश्वनाथ, विश्वेश्वर | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
देवता | विश्वनाथ |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
वास्तु विवरण | |
शैली | हिन्दू वास्तुकला |
निर्माता | महारानी अहिल्या बाई होल्कर |
स्थापित | 1780 |
इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य, सन्त एकनाथ, गोस्वामी तुलसीदास सभी का आगमन हुआ है। यहीं पर सन्त एकनाथजी ने वारकरी सम्प्रदाय का महान ग्रन्थ श्रीएकनाथी भागवत लिखकर पूरा किया और काशीनरेश तथा विद्वतजनों द्वारा उस ग्रन्थ की हाथी पर धूमधाम से शोभायात्रा निकाली गयी। महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि में प्रमुख मंदिरों से भव्य शोभा यात्रा ढोल नगाड़े इत्यादि के साथ बाबा विश्वनाथ जी के मंदिर तक जाती है।
विश्वनाथ मंदिर को इतिहास में कई मुस्लिम शासकों द्वारा बार बार तोड़ा गया। मुगल शासक औरंगज़ेब इस मंदिर को गिराने वाला अंतिम मुस्लिम शासक था जिसने मंदिर के स्थान पर वर्तमान ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया। मंदिर की वर्तमान संरचना १७८० में इंदौर के मराठा शासक अहिल्याबाई होल्कर द्वारा निकटवर्ती स्थान पर बनाई गई थी।[2]