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इतिहास-सम्बन्धी साहित्य विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
ख्यात इतिहास-सम्बन्धी साहित्य है जिसके लेखन का प्रचलन भारत के उन क्षेत्रों में था जिसे आजकल राजस्थान के नाम से जाना जाता है। अर्थात ख्यात ऐतिहासिक दस्तावेज हैं। ख्यात चारण-इतिहासकारों द्वारा लिखित ऐतिहासिक ग्रंथ है जिनमे मध्यकालीन भारत के युद्धों, बलिदानों, वीरता और शौर्य के कृत्यों का इतिहास सम्मिलित है।[1] ख़्यातों को अक्सर उनके लेखकों के नाम से जाना जाता है; जैसे कि, बाँकीदास-री-ख्यात (कविराजा बाँकीदास द्वारा लिखित ख्यात)।[2] कुछ प्रसिद्ध ख्यात निम्नलिखित हैं-
(इस ख्यात के रचनाकार मुंदीयाड गांव,नागौर का चैनदान बारहट ने 1862 ई. में की। जिसमें राव सीहा से लेकर महाराजा विजयसिंह तक का इतिहास है। इसे राठौड़ा की ख्यात भी कहते है।) स्रोत- मध्यकालीन राजस्थान गद्य, वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय,कोटा
‘ख्यात’ शब्द मूलतः संस्कृत का शब्द है। ‘ख्या’ धातु में ‘क्त’ प्रत्यय जुड़ने से ‘ख्यात’ शब्द बना हैै, जिसका अर्थ है 'भूतकाल की घटनाओं का वर्णन' या 'भूतकाल को ज्ञात करना'। ख्यातकारों ने ‘ख्यात’ शब्द का प्रयोग 'इतिहास' के रूप में ही किया था। लुईजीपीयो टेस्सीटोरी सर्वप्रथम एवं सर्वाधिक ख्यातों को प्रकाश में लाने वाले व्यक्ति थे। टेस्सीटोरी का सर्वेक्षण न सिर्फ भाषा विज्ञान की दृष्टि से अपितु साहित्य में इतिहास के निर्धारण की दृष्टि से भी श्रेष्ट था।
चारण-राजपूत सभाओं में ख्यात और वार्ताओं का पाठ किया जाता था और इसका उद्देश्य राजपूतों योद्धाओं और चारण विद्वानों दोनों की भव्यता को व्यक्त करना था।[1]
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