घटनाविज्ञान
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व्यक्तिनिष्ठ अनुभवों और चेतना के संरचनाओं का दार्शनिक अध्ययन घटनाविज्ञान,संवृतिशास्त्र, दृश्यप्रपंचशास्त्र[1] या प्रतिभासवाद कहलाता है। इसकी, एक विशिष्ठ विषय के रुप में स्थापना, २०वीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों में एडमंड हुसर्ल (जर्मन: Edmund Husserl) ,मार्टिन हाइडेगर ,सार्त्र, मौरिस मर्लेउ-पोंटी व अन्य द्वारा की गयी थी।[2]