Loading AI tools
भारत का केंद्रीय विश्वविद्यालय Rank-2 विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, (अंग्रेज़ी: Jawaharlal Nehru University) संक्षेप में जे॰एन॰यू॰, भारत का एक प्रसिद्ध केन्द्रीय विश्वविद्यालय है जो भारत की राजधानी नई दिल्ली के दक्षिणी भाग में एक विशाल भूभाग लगभग 1020 एकड़ में अवस्थित है। यह मानविकी, समाज विज्ञान, विज्ञान, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन, भाषा अध्ययन, कंप्यूटर विज्ञान आदि विषयों में उच्च स्तर की शिक्षा और शोध कार्य में संलग्न भारत के अग्रणी संस्थानों में से है । जेएनयू को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NACC) ने जुलाई 2012 में किये गए सर्वे में भारत का सबसे अच्छा विश्वविद्यालय माना है। NACC ने विश्वविद्यालय को 4 में से 3.9 ग्रेड दिया है, जो कि देश में किसी भी शैक्षिक संस्थान को प्रदत उच्चतम ग्रेड है। जेएनयू को वर्ष 2017 में भारत के राष्ट्रपति की ओर से सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय का पुरस्कार मिला। यह A++ ग्रेड के साथ NAAC रैंकिंग में सबसे ऊपर है। कई संकाय-सदस्यों और शोध छात्रों ने अपने अकादमिक काम के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं । जेएनयू को भी यूजीसी द्वारा 'यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सीलेंस' का दर्जा दिया गया है। जेएनयू को देश में एक प्रमुख संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है जिसने विविध और प्रासंगिक शोध विषयों के प्रति अपनी सर्वांगीण अकादमिक उत्कृष्टता और अद्वितीय प्रतिबद्धता साबित की है। यूरोपीय आयोग ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को जीन मोनेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर यूरोपियन यूनियन स्टडीज इन इंडिया (सीईईयूएसआई) से सम्मानित किया है। यह किसी भी यूरोपीय अध्ययन कार्यक्रम के लिए सर्वोच्च अंतरराष्ट्रीय सम्मानों में से एक है।
इस लेख के २०१६ विवाद संबंधी हिस्सों की सामग्री पुरानी है। कृपया इस लेख को नयी मिली जानकारी अथवा नयी घटनाओं की जानकारी जोड़कर बेहतर बनाने में मदद करें। अधिक जानकारी के लिये वार्ता पृष्ठ देखें। (March 2016) |
यह लेख अंग्रेज़ी विकिपीडिया के तत्स्थानी लेख से अनुवादित करके विस्तारित किया जा सकता है। (मार्च 2016)
अनुवाद से पूर्व सम्बंधित महत्त्वपूर्ण दिशानिर्देशों के लिए [दिखाएँ] पर क्लिक करें।
|
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय | |
---|---|
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय | |
स्थापित | 1969 |
प्रकार: | केन्द्रीय विश्वविद्यालय |
कुलाधिपति: | कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन |
कुलपति: | https://en.m.wikipedia.org/wiki/Santishree_Dhulipudi_Pandit |
शिक्षक: | करीब 600 |
विद्यार्थी संख्या: | 8,500 |
अवस्थिति: | नई दिल्ली, भारत |
परिसर: | नगरीय |
उपनाम: | जेएनयू |
सम्बन्धन: | यूजीसी |
जालपृष्ठ: | www.jnu.ac.in |
जेएनयू का डॉ बी आर अम्बेडकर केंद्रीय पुस्तकालय एक विशाल पुस्तकालय है, जो की 9 मंजिला भवन में स्थापित है। इस पुस्तकालय में 5 लाख से अधिक पुस्तकें हैं, विभिन्न भाषाओं के समाचार पत्र, विभिन्न विषयों की अनुसंधान पत्रिकाएं एवं शोधार्थी द्वारा जमा किए गए थीसिस एवं डिसर्टेशन, विभिन्न विषयों के डेटाबेस, गवर्नमेंट डॉक्युमेंट्स, यूएन डॉक्युमेंट्स आदि उपलब्ध है। यह पुस्तकालय पूर्णतः कंप्यूटरीकृत एवं वातानुकूलित है। यह पुस्तकालय 24 घंटे खुला रहता है। रात्रि में भी यह पुस्तकालय विद्यार्थियों से भरा रहता है। इस पुस्तकालय में दृष्टिबाधित छात्रों के लिए विशेष रीडिंग रूम बनाया गया है जिसका नाम हेलेन केलर यूनिट है, जिसमें बहुत सारे कंप्यूटर लगे है एवं इनमें विभिन्न सॉफ्टवेयर लगे हुए हैं, जिससे छात्रों को कंप्यूटर प्रयोग करने में सुविधा होती है। पुस्तकालय के कर्मचारी दिन-रात छात्रों को अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की स्थापना 1969 में संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई थी। इसका नाम भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाम पर रखा गया है। गोपालस्वामी पार्थसारथी इसके पहले कुलपति थे। प्रो मूनिस रज़ा संस्थापक अध्यक्ष और रेक्टर थे। तत्कालीन शिक्षा मंत्री एमसी छागला ने 1 सितंबर 1995 को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए बिल राज्य सभा में रखा था। इसके बाद हुई चर्चा के दौरान, संसद सदस्य भूषण गुप्ता ने राय व्यक्त की कि यह एक और विश्वविद्यालय नहीं होना चाहिए। वैज्ञानिक समाजवाद सहित नए संकायों का निर्माण किया जाना चाहिए और एक चीज़ जो इस विश्वविद्यालय को सुनिश्चित करनी चाहिए , वह है अच्छे विचारों को ध्यान में रखना और समाज के कमजोर वर्गों के छात्रों तक पहुंच प्रदान करना। जेएनयू विधेयक 16 नवंबर 1966 को लोकसभा में पारित किया गया था और जेएनयू अधिनियम 22 अप्रैल 1969 को लागू हुआ था।
इंडियन स्कूल और इंटरनेशनल स्टडीज को जून 1970 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के साथ मिला दिया गया था। विलय के बाद उपसर्ग "इंडियन" को नाम से हटा दिया गया और यह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का स्कूल और इंटरनेशनल स्टडीज बन गया।
अध्ययन, अनुसंधान और अपने संगठित जीवन के उदाहरण और प्रभाव द्वारा ज्ञान का प्रसार तथा अभिवृद्धि करना। उन सिद्धान्तों के विकास के लिए प्रयास करना, जिनके लिए जवाहरलाल नेहरू ने जीवन-पर्यंत काम किया। जैसे - राष्ट्रीय एकता, सामाजिक न्याय, धर्म निरपेक्षता, जीवन की लोकतांत्रिक पद्धति, अन्तरराष्ट्रीय समझ और सामाजिक समस्याओं के प्रति वैज्ञानिक दॄष्टिकोण।[1]
|
|
जेएनयू की प्रगतिशील परंपरा और शैक्षिक माहौल के लिए यहां के छात्र संघ का बड़ा महत्व माना जाता है। यहां के कई छात्र संघ सदस्यों ने बाद के दिनों में भारतीय राजनीति और सामाजिक आंदोलनों में अहम भूमिका निभाई है, इनमें कन्हैया कुमार, प्रकाश करात, सीताराम येचुरी, डी. पी. त्रिपाठी, आनंद कुमार, चंद्रशेखर प्रसाद आदि प्रमुख हैं। जेएनयू छात्र राजनीति पर शुरू से ही वामपंथी छात्र संगठनों ऑल इंडिया स्टडेंट्स एसोसिएशन(आइसा), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एस.एफ.आई.) आदि का वर्चस्व रहा है। वर्तमान में केन्द्रीय पैनल के चारों सदस्य उग्र वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टडेंट्स एसोसिएशन से संबंधित हैं।
जेएनयू छात्र संघ के साथ जेएनयू शिक्षक संघ भी शुरू से बदलाव की राजनीति के साथ रहा है। वर्तमान में इसके अध्यक्ष प्रो. मिलाप शर्मा व महासचिव प्रो. मौसमी बसु हैं।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में विवाद कोई नई बात नहीं है।[2][किसके अनुसार?] समय-समय पर लोग[कौन?] इसे 'घातक राजनीति का अड्डा'[3], 'देशद्रोही गतिविधियों का केन्द्र'[4], 'दरार का गढ़'[5] आदि कहते रहे हैं। इसके छात्रों और अध्यापकों पर भारत में नक्सवादी हिंसा का समर्थन करने और भारतविरोधी कार्यों में संलिप्त रहने के आरोप भी लगते[किसके द्वारा?] रहे हैं।
9 फरवरी को, 2001 के भारतीय संसद हमले के दोषी अफजल गुरु और अलगाववादी नेता मकबूल भट की फांसी के खिलाफ और कश्मीर के अधिकार के लिए साबरमती ढाबा में पूर्व में डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन (DSU) के 10 छात्रों द्वारा आत्मनिर्णय के लिए एक सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया था। लेकिन इस आयोजन में "भारत-विरोधी" नारे जैसे " पाकिस्तान ज़िंदाबाद " ("लॉन्ग लिव पाकिस्तान"), " कश्मीर की आज़ादी तक जंग चलेगी, भारत की बरबादी तक जंग चलेगी " ("कश्मीर की आज़ादी तक युद्ध जारी रहेगा, युद्ध तब तक जारी रहेगा जब तक भारत का विध्वंस") को उठाया गया था। "छात्र संघठकों को निष्कासित करने की मांग को लेकर विश्वविद्यालय में प्रदर्शन किया गया।
जेएनयू प्रशासन ने अनुमति से इनकार के बावजूद कार्यक्रम के आयोजन की "अनुशासनात्मक" जांच का आदेश देते हुए कहा कि देश के विघटन के बारे में कोई भी बात "राष्ट्रीय" नहीं हो सकती है। दिल्ली पुलिस ने जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद को 1860 से भारतीय दंड संहिता की धारा 124 के तहत राजद्रोह और आपराधिक साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया।
गिरफ्तारी जल्द ही एक बड़े राजनीतिक विवाद में बदल गई, विपक्षी दलों के कई नेताओं ने पुलिस की कार्रवाई के विरोध में छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए जेएनयू परिसर का दौरा किया। जेएनयू के पूर्व छात्रों सहित दुनिया भर के 500 से अधिक शिक्षाविदों ने छात्रों के समर्थन में एक बयान जारी किया। एक अलग बयान में, नोम चॉम्स्की , ओरहान पामुक और अकील बिलग्रामी सहित 130 से अधिक विश्व-अग्रणी विद्वानों ने आलोचना को चुप कराने के लिए औपनिवेशिक काल के दौरान बनाए गए राजद्रोह कानूनों को लागू करने के लिए इसे "भारत सरकार का शर्मनाक कार्य" कहा। संकट विशेष रूप से राष्ट्रवाद का अध्ययन करने वाले कुछ विद्वानों से संबंधित था. [ उद्धरण वांछित ] 25 मार्च 2016 को, गूगल मैप्स ने 'राष्ट्र विरोधी' के लिए उपयोगकर्ताओं को जेएनयू परिसर में खोजा।
कथित तौर पर कार्यक्रम के दौरान कुछ छात्रों ने भारत विरोधी नारे (जैसे: भारत की बर्बादी तक, जंग लड़ेंगे, जंग लड़ेगे / 'कितने अफजल मारोगे, हर घर से अफजल निकलेगा' / 'पाकिस्तान जिंदाबाद') लगाए।[6][7] इस बात से गुस्सा होकर एबीवीपी के सदस्य उप-कुलाधिपति के कार्यालय के बहार इकट्ठा हो गए और राष्ट्र विरोधी गतिविधि करने वाले छात्रों के निष्कासन की मांग में नारे लगाने लगे।
इस राष्ट्र विरोधी नारेबाजी की आम जनता ने बहुत निंदा की क्योंकि जे॰एन॰यू॰ के छात्रों को पढाई में करदाता के पैसे से भरी सब्सिडी मिलती है। इस कार्यक्रम और उसमें लगे नारों पर भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राष्ट्रविरोधी नारे लगाने वालों को किसी भी कीमत पर माफ नहीं किया जाएगा, जबकि मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने भी कहा कि भारत माता का अपमान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कुमार विश्वास ने कहा कि देशद्रोहियों पर केन्द्र कड़ी कार्यवाही करे। [8] हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के एक पूर्व सहायक मंत्री ट्वीट कर वेश्याओं को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्राओं से बेहतर बताया और कहा कि वेश्यायें केवल देह बेचतीं हैं जबकि इन छात्राओं ने तो देश ही बेच दिया।[9][10]
11 फरबरी 2016 को जे॰एन॰यू॰ छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर ये लिखा: "हिन्दी अनुवाद: हम लोकतंत्र के लिए, अपने संविधान के लिए और सभी को समान राष्ट्र के लिए लड़ेंगे। अफज़ल गुरु के नाम पर एबीवीपी सभी मुद्दों से ध्यान हटा कर केंद्र सरकार की नाकामयाबी को छुपाने की कोशिश कर रही है।"[11]
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर लिखा (हिन्दी अनुवाद) "अगर कोई भारत में रहते हुए भारत विरोधी नारे लगता है और भारत की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देता है, तो उसे सहन नहीं किया जाएगा।"[12]
इस विवाद के कारण राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के ५४वें बैच के अधिकारियों ने अपनी डिग्रियां वापस देने को कहा है। कुछ समाचार पत्रों के अनुसार इन अधिकारियों का कहना है कि इन्हें यह सब सुनने पर काफी खराब लग रहा है इस वज़ह से डिग्रियां वापस देने का एलान किया है।[13]
भाजपा सांसद महेश गिरी की शिकायत पर 12 फरबरी 2016 को छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उस पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 124A के तहत राजद्रोह का आरोप लगाया गया। इस धारा में व्यक्ति को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है।[14]
अपनी गिरफ़्तारी के कुछ घंटे पूर्व बनी वीडियो में कन्हैया कुमार कहता है: "हमको देश भक्ति का सर्टिफिकेट आर॰एस॰एस॰ से नहीं चाहिए।" वो आगे कहता है: "हम हैं इस देश के, और इस मिट्टी से प्यार करते हैं। इस देश के अन्दर जो 80 प्रतिशत गरीब अवाम है, हम उसके लिए लड़ते हैं। हमारे लिए यही देशभक्ति है। हमें पूरा भरोसा है अपने देश के संविधान पर। और हम इस बात को पूरी मजबूती से कहना चाहते हैं कि इस देश के संविधान पे अगर कोई ऊँगली उठाएगा, चाहे वो ऊँगली संघियों का हो, चाहे वो ऊँगली किसी का भी हो, उस ऊँगली को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।"[15]
एमनेस्टी इण्टरनेशनल ने छात्रों की गिरफ़्तारी को अनुचित कहकर उसकी आलोचना की। अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर एमनेस्टी इण्टरनेशनल ने लिखा "हिन्दी अनुवाद: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार अपमान या परेशान करने वाले भाषण पर भी लागू होता है। भारत का विद्रोह कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतरराष्ट्रीय मानकों के उलट है, और इसे निरस्त किया जाना चाहिए"।[16]
अगले दिन पुलिस ने 7 छात्रों को हिरासत में ले लिया।
इन गिरफ्तारियों की विपक्ष की पार्टियों ने बहुत आलोचना की। इसके कई नेता जे॰एन॰यू॰ पहुंचे और उन्होंने पुलिस कारवाई का विरोध कर रहे छात्रों का समर्थन किया। इसी दौरान केंद्र गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दोहराया कि हालांकि छात्रों को परेशान नहीं किया जाएगा पर "दोषियों को बख्शा भी नहीं जाएगा"। गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि जे॰एन॰यू॰ को देशद्रोही गतिविधियों का केंद्र नहीं बनने दिया जाएगा।[17]
विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने गिरफ्तारियों को "अत्यधिक पुलिस कार्रवाई" कह कर उनकी आलोचना की।[18] ए॰आई॰एस॰एफ॰ के नेता रामकृष्ण ने कहा "जे॰एन॰यू॰ का भगवाकरण करने का निरंतर प्रयास हो रहा है, और कन्हैया वामपंथियों और दूसरों की लड़ाई में प्यादा बन गया है"। ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन के नेता प्रह्लाद सिंह ने कहा "राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को नाथूराम विनायक गोडसे के समर्थकों में कुछ देशद्रोही नहीं दिखाई दिया, पर कन्हैया को कुछ न कहने के बावजूद गिरफ्तार कर लिया गया"।[19]
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.