जेम्स वेब खगोलीय दूरदर्शी
अप्रक्षेपित अंतरिक्ष दूरदर्शी / From Wikipedia, the free encyclopedia
जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरदर्शी (James Webb Space Telescope (JWST)) एक प्रकार की अवरक्त अंतरिक्ष वेधशाला है। यह हबल अंतरिक्ष दूरदर्शी का वैज्ञानिक उत्तराधिकारी और आधुनिक पीढ़ी का दूरदर्शी है, जिसे 25 दिसंबर 2021 को एरियन ५ राकेट से प्रक्षेपित किया गया । इसका मुख्य कार्य ब्रह्माण्ड के उन सुदूर निकायों का अवलोकन करना है जो पृथ्वी पर स्थित वेधशालाओं और हबल दूरदर्शी के पहुँच के बाहर है। JWST, नासा और यूनाइटेड स्टेट स्पेस एजेंसी की एक परियोजना है जिसे यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA), केनेडियन स्पेस एजेंसी (CSA) और पंद्रह अन्य देशों का अन्तराष्ट्रीय सहयोग प्राप्त है।
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सामान्य जानकारी | |
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संगठन | नासा,[1] ईएसए एवं सीएसए के महत्वपूर्ण योगदान के साथ |
मुख्य ठेकेदार |
नॉरथ्रोप ग्रुमान बाल एयरोस्पेस |
प्रक्षेपण दिनांक | 25 दिसम्बर 2021[2] |
प्रक्षेपण स्थल |
गुआना स्पेस सेंटर ELA-3 कोरु, फ्रेंच गुआना |
प्रक्षेपण वाहन | एरियन 5 (योजनाबद्ध) |
मिशन समयावधि |
5 वर्ष (रचना) 10 वर्ष (लक्ष्य) |
द्रव्यमान | 6,200 कि॰ग्राम (220,000 औंस) |
Type of orbit | L2 |
Orbit height | पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर |
परिक्रमण काल | 1-वर्ष |
स्थापन स्थल |
पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर् (पृथ्वी-सूर्य द्वितिय लग्रांज बिंदु वृहत कक्षा) |
दूरदर्शी प्रकार | Korsch (Three-mirror anastigmat) |
तरंगदैर्ध्य | 0.6 (नारंगी) से 28.5 µm (माइक्रॉन) (मिड-इंफ्रारेड) |
व्यास | 6.5 मी॰ (21 फीट) |
संग्रहीत क्षेत्र | 25 मी2 (270 वर्ग फुट) |
फोकल लंबाई | 131.4 मी॰ (431 फीट) |
उपकरण | |
NIRCam | Near IR Camera |
NIRSpec | Near IR Spectrograph |
MIRI | Mid IR Instrument |
NIRISS | Near Infrared Imager and Slitless Spectrograph |
FGS | Fine Guidance Sensor |
Website |
NASA United States ESA b Europe CSA/ASC Canada CNES France |
इसका असली नाम अगली पीढ़ी का अंतरिक्ष दूरदर्शी (Next Generation Space Telescope (NGST)) था, जिसका सन २००२ में नासा के द्वितीय प्रशासक जेम्स एडविन वेब (१९०६-१९९२) के नाम पर दोबारा नामकरण किया गया। जेम्स एडविन वेब ने केनेडी से लेकर ज़ोंनसन प्रशासन काल (१९६१-६८) तक नासा का नेतृत्व किया था। उनकी देखरेख में नासा ने कई महत्वपूर्ण प्रक्षेपण किए, जिसमे जेमिनी कार्यक्रम के अंतर्गत बुध के सारे प्रक्षेपण एवं प्रथम मानव युक्त अपोलो उड़ान शामिल है।
JWST की कक्षा पृथ्वी से परे पंद्रह लाख किलोमीटर दूर लग्रांज बिन्दु L2 पर होगी अर्थात पृथ्वी की स्थिति हमेंशा सूर्य और L2 बिंदु के बीच बनी रहेगी। चूँकि L2 बिंदु में स्थित वस्तुएं हमेंशा पृथ्वी की आड़ में सूर्य की परिक्रमा करती है इसलिए JWST को केवल एक विकिरण कवच की जरुरत होगी जो दूरदर्शी और पृथ्वी के बीच लगी होगी। यह विकिरण कवच सूर्य से आने वाली गर्मी और प्रकाश से तथा कुछ मात्रा में पृथ्वी से आने वाली अवरक्त विकिरणों से दूरदर्शी की रक्षा करेगी। L2 बिंदु के आसपास स्थित JWST की कक्षा की त्रिज्या बहुत अधिक (८ लाख कि.मी.) है, जिस कारण पृथ्वी के किसी भी हिस्से की छाया इस पर नहीं पड़ेगी। सूर्य की अपेक्षा पृथ्वी से काफी करीब होने के बावजूद JWST पर कोई ग्रहण नहीं लगेगा।