टाइटैनिक का मलबा
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टाइटैनिक का मलबा न्यूफ़ाउंडलैंड के तट से लगभग 370 समुद्री मील (690 किलोमीटर) दूर दक्षिण-दक्षिणपूर्व में लगभग 12,500 फीट (3,800 मीटर) की गहराई पर स्थित है।[1] यह दो मुख्य टुकड़ों में स्थित है। उन दोनों टुकड़ों में लगभग 2,000 फीट (600 मीटर) की दूरी है। समुद्र तल से टकराने के कारण हुई क्षति बावजूद जहाज का सामने का हिस्सा अभी भी पहचाना जा सकता है। इसके विपरीत, पीछे का हिस्सा पूरी तरह से बर्बाद हो गया है।
टाइटैनिक का मलबा | |
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कारण | हिमखंड से टकराना |
तिथि | 15 अप्रैल 1912; 112 वर्ष पूर्व (1912-04-15) |
स्थान | न्यूफ़ाउंडलैंड से 370 समुद्री मील (690 कि॰मी॰) दक्षिण-दक्षिणपूर्व में, उत्तरी अटलांटिक महासागर |
निर्देशांक | 41°43′32″N 49°56′49″W |
खोजा गया | 1 सितम्बर 1985; 38 वर्ष पूर्व (1985-09-01) |
1912 में अपनी पहली यात्रा के दौरान एक हिमखंड से टकराने के कारण टाइटैनिक डूब गया था।[2] मलबे के चारों ओर कूड़े के ढेर में जहाज़ के साथ डूबने के कारण सैकड़ों-हज़ारों चीज़ें बिखरी हुई हैं। यात्रियों और चालक दल के शव भी इसी कूड़े में हुए होंगे लेकिन तब से उनका समुद्री जीवों द्वारा उपभोग कर लिया गया है। इसके डूबने के बाद मलबे को खोजने की आशा में कई अभियान चलाये गए थे। समुद्र तल का मानचित्रण करने के लिए सोनार का उपयोग भी किया गया था। लेकिन यह सब असफल प्रयास रहे। 1985 में, जीन-लुई मिशेल और रॉबर्ट बैलार्ड के नेतृत्व में एक संयुक्त फ्रांसीसी-अमेरिकी अभियान द्वारा अंततः मलबे का पता लगा लिया गया।[3]
यह मलबा गहन रुचि का केंद्र रहा है और कई पर्यटक और वैज्ञानिक अभियानों ने इसका दौरा किया है। जून 2023 में, टाइटन नामक पनडुब्बी से इसके पास गए पांच यात्री विनाशकारी विस्फोट के बाद मारे गए थे।[4] टाइटैनिक के मलबे को ऊपर उठाने के लिए कई योजनाएं प्रस्तावित की गई हैं। हालाँकि, मलबा इतना कमजोर है कि इसे उठाया नहीं जा सकता और यह यूनेस्को सम्मेलन द्वारा संरक्षित है। साथ ही यह मलबा समुद्र में तेज़ी से गल रहा है। इसमें प्रतिदिन 180 किलो मलबा समुद्री बैक्टेरिया खा रहे हैं। ऐसे ही होते रहने पर यह मलबा 20-30 साल में समुद्र में पूरा घुल जायेगा।[5]