नारीवाद
लैंगिक समानता की विचारधारा / From Wikipedia, the free encyclopedia
नारीवाद, समाजिक और राजनैतिक आन्दोलनों तथा विचारधाराओं की एक श्रेणी है, जो राजनीतिक, आर्थिक, व्यक्तिगत एवं सामाजिक रूप से लैंगिक समानता को परिभाषित करने, स्थापित करने और प्राप्त करने के एक लक्ष्य को साझा करते हैं।[1] नारीवाद की यह धारणा है कि समाज, पुरूष-दृष्टिकोण को प्राथमिकता देता है और इन पितृसत्तात्मक समाजों में महिलाओं के साथ भेदभाव और अन्याय होता है।[2] इसका लक्ष्य महिलाओं के लिए पुरुषों के समान शैक्षिक, वृत्तिक और पारस्परिक अवसर और परिणाम स्थापित करना शामिल है जो पुरुषों के समान हो।
नारीवादी सिद्धांतों का उद्देश्य लैंगिक असमानता की प्रकृति एवं कारणों को समझना तथा इसके फलस्वरूप पैदा होने वाले लैंगिक भेदभाव की राजनीति और शक्ति संतुलन के सिद्धांतों पर इसके असर की व्याख्या करना है। स्त्री विमर्श संबंधी राजनैतिक प्रचारों का ज़ोर, प्रजनन संबंधी अधिकार, घरेलू हिंसा, मातृत्व अवकाश, समान वेतन संबंधी अधिकार, यौन उत्पीड़न, भेदभाव एवं यौन हिंसा पर रहता है।
स्त्रीवादी विमर्श संबंधी आदर्श का मूल कथ्य यही रहता है कि कानूनी अधिकारों का आधार लिंग न बने।
आधुनिक स्त्रीवादी विमर्श की मुख्य आलोचना हमेशा से यही रही है कि इसके सिद्धांत एवं दर्शन मुख्य रूप से पश्चिमी मूल्यों एवं दर्शन पर आधारित रहे हैं। हालाँकि ज़मीनी स्तर पर स्त्रीवादी विमर्श हर देश एवं भौगोलिक सीमाओं मे अपने स्तर पर सक्रिय रहती हैं और हर क्षेत्र के स्त्रीवादी विमर्श की अपनी खास समस्याएँ होती हैं।