निज़ामाबाद
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निज़ामाबाद (Nizamabad), जिसका स्थानीय पुराना नाम इन्दूर (Indur) या इन्द्रपुरी (Indrapuri) था, भारत के तेलंगाना राज्य के निज़ामाबाद ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2][3]
निज़ामाबाद Nizamabad నిజామాబాదు इन्दूर | |
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ऊपर से दक्षिणावर्त : ज़िला सरकारी अस्पताल, निज़ामाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन, ज़िला न्यायालय, निज़ामाबाद दुर्ग | |
निर्देशांक: 18.672°N 78.094°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | तेलंगाना |
ज़िला | निज़ामाबाद ज़िला |
ऊँचाई | 395 मी (1,296 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 3,11,152 |
भाषा | |
• प्रचलित | तेलुगू |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 503 001,002,003,186,230 |
दूरभाष कोड | 91-846 |
वाहन पंजीकरण | TS-16 / AP-25 |
निज़ामाबाद अपनी समृद्ध संस्कृति के साथ-साथ ऐतिहासिक स्मारकों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। इस जिले की सीमाएं करीमनगर, मेदक और नंदेदू जिलों से मिलती और पूर्व में आदिलाबाद से मिलती हैं। इसका नाम हैदराबाद प्रांत के निज़ाम के नाम पर रखा गया है।
किंवदंती के अनुसार निज़ामाबाद नगर प्राचीन समय में त्रिकुंटकवंशीय इंद्रदत्त द्वारा लगभग 388 ई. में बसाया गया था। इस का राज नर्मदा और ताप्ती के निचले प्रदेशों में था। यह भी संभव जान पड़ता है कि नगर का नाम विष्णुकुंडिन इंद्रवर्मन् प्रथम (500 ई.) के नाम पर हुआ था। 1311 ई. में निज़ामाबाद पर अलाउद्दीन ख़िलजी ने आक्रमण किया। तत्पश्चात् यह नगर क्रमश: बहमनी, कुतुबशाही और मुग़ल राज्यों में सम्मिलित रहा। अंत में हैदराबाद प्रांत के निज़ाम का यहाँ आधिपत्य हो गया और इस ज़िले का नाम 1905 में निज़ामाबाद कर दिया गया था।
यह जिला चालुक्य, तुगलक, गोलकुंडा और निजाम शासकों के अधीन रह चुका है। इन सभी शासकों की अनेक निशानियां इस नगर में देखी जा सकती है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर यह स्थान औद्योगिक विास से पथ पर तेजी से अग्रसर हो रहा है। निजामाबाद से गोदावरी नदी आंध्रप्रदेश में प्रवेश कर इस राज्य को समृद्ध करने में अहम भूमिका अदा करती है। इस ज़िले के प्राचीन मंदिरों की वास्तुकला अतीव सुंदर है। नगर में 12वीं शती ई. की जैन-मूर्तियों के अवशेष मिले हैं जिन का कुतुबशाही काल में बने दुर्ग में उपयोग किया गया था। कंटेश्वर का अपेक्षाकृत नवीन मंदिर अत्यंत सुंदर है। नगर से छ: मील पर हनुमान मंदिर है जहाँ जनश्रुति के अनुसार महाराज शिवाजी के गुरु श्री समर्थ रामदास कुछ समय तक रहे थे।
हैदराबाद से 144 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में स्थित कृत्रिम जलकुंड निजाम सागर गोदावरी नदी की एक शाखा मंजीरा नदी पर बनाया गया है। यह स्थान अपनी मनमोहक खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। यहां का मुख्य आकर्षण विशाल बांध है जिसपर तीन किलोमीटर लंबी सड़क है जिस पर गाडियां चलती हैं। यहां के खूबसरत उद्यान लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। निजाम सागर में बोटिंग का भी आनंद लिया जा सकता है। पर्यटकों के लिए भी यहां सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
निजामाबाद से करीब 7 किलोमीटर दूर अशोक सागर एक विशाल कृत्रिम जलाशल है। यहां पर सफाई से बनाए गए उद्यान और खूबसूरत चट्टानें हैं। जलाशय के बीचों बीच देवी सरस्वती की 15 फीट ऊंची प्रति इस स्थान की सुंदरता में चार चांद लगाती है। अष्टभुजाकार रेस्टोरेंट में खानपान का आनंद भी उठाया जा सकता है। अशोक सागर में झूलने वाला सेतु और बोटिंग सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।
निजामाबाद में एक जगह है जिसे कंठेश्वर के नाम से जाना जाता है। यह स्थान यहां स्थित मंदिर के लिए प्रसिद्ध है जो करीब 500 साल पुराना है। भगवान शिव (नील कंठेश्वर) को समर्पित इस मंदिर का वास्तुशिल्प देखते ही बनता है। इस मंदिर का निर्माण सातवाहन राजा सतकर्नी द्वितीय ने करवाया था। रथसप्तर्णी उत्सव यहां हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु यहां सयैद सदुल्लाह हुसैनी की मजार पर मत्था टेकने यहां आते हैं। यह दरगाह वर्नी और चंदूर की पहाडि़यों के बीच स्थित है। इस स्थान को रोपवे के निर्माण के लिए चुना गया है।
मनोरम दृश्यावली के बीच स्थित लिंबाद्री पर्वत पर श्री नरसिंह स्वामी मंदिर प्रमुख दर्शनीय स्थल है। यह जगह निजामाबाद से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हर साल कार्तिक सुद्दा तडिया से त्रयोदशी तक यहां मेले का आयोजन किया जाता है।
निजामाबाद से 8 किलोमीटर दूर सारंगपुर में विशाल हनुमान मंदिर है जो इस जिले का प्रमुख धार्मिक स्थाल है। छत्रपति शिवाजी के गुरु संत समर्थ रामदास ने करीब 452 साल पहले इस मंदिर की नींव रखी थी। आवागमन की सुविधा, बिजली पानी का प्रबंध, धर्मशाला, बच्चों के लिए उद्यान आदि के होने से यह स्थान बड़ी संख्या में भक्तों को अपनी ओर खींचता है।
यह संग्रहालय 2001 में किया गया था। संग्रहालय में पाषाण काल से लेकर विजय नगर के समय तक के अवशेष और शिल्प कला का प्रदर्शन किया गया है। यह संग्रहालय तीन भागों में बांटा गया है- आर्कलॉजिकल सेक्शन, स्कल्पचरल गैलरी और ब्रॉन्स और डेकोरेटिव गैलरी। इसके अलावा अस्त्र-शस्त्रों को भी यहां प्रदर्शित किया गया है।
मूल रूप से इंद्रपुरी के नाम से जाना जाने वाले इस शहर और किले का निर्माण राष्ट्रकुटों ने किया था। किले में 40 फुट ऊंचा एक विजय स्तंभ है जिसका निर्माण राष्ट्रकुट शासन के दौरान किया गया था। 1311 में अलाउद्दीन खिलजी ने इस किले पर अधिकार कर दिया। इसके बाद यह बहमनी, कुतुब शाही और असफ जोहिस के हाथ में आया। वर्तमान किला असफ जाही शैली के वास्तुशिल्प को दर्शाता है। किले में ही छत्रपति शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास द्वारा बनाया गया बड़ा राममंदिर भी है। राजालयम किले से निजामाबाद शहर का सुंदर नजारा दिखाई देता है।
नजदीकी हवाई अड्डा हैदराबाद 162 किलोमीटर और वारंगल 230 किलोमीटर दूर
निजामाबाद हैदराबाद और मुंबई सैक्शन से जुड़ा है।
यह आंध्र प्रदेश और बाहर के शहरों से सड़क मार्ग से भी जुड़ा हुआ है। हैदराबाद और मुंबई से यहां के लिए वॉल्वो सर्विस भी उपलब्ध है।
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