भैरव
हिंदु भगवान शिव के एक रूप / From Wikipedia, the free encyclopedia
भैरव या भैरवनाथ (शाब्दिक अर्थ- 'जो देखने में भयंकर हो' या जो भय से रक्षा करता है ; भीषण ; भयानक) हिन्दू धर्म में शिव के पांचवे अवतार माने जाते हैं।
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भैरव | |
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दुष्टों को दंड देने वाले और भक्तों की रक्षा करने वाले देवता | |
भैरव रूपी भगवान शिव ब्रह्मा का पांचवा शीश काटते हुए | |
अन्य नाम | दण्डपाणी , स्वस्वा , भैरवीवल्लभ, दंडधारि, भैरवनाथ , बटुकनाथ आदि। |
देवनागरी | भैरव |
संस्कृत लिप्यंतरण | bhairava |
संबंध | शिव, रुद्र |
मंत्र | ॐ श्री भैरवनाथाय नमः |
अस्त्र | डंडा, त्रिशूल, डमरू, चंवर, ब्रह्मा का पांचवा शीश , खप्पर और तलवार |
युद्ध | अंधक वध |
दिवस | मंगलवार और रविवार |
जीवनसाथी | भैरवी |
सवारी | काला कुत्ता |
त्यौहार | भैरव जयंती |
शैव धर्म में, भैरव शिव के विनाश से जुड़ा एक उग्र अवतार हैं। त्रिक प्रणाली में भैरव परम ब्रह्म के पर्यायवाची, सर्वोच्च वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करते हैं। आमतौर पर हिंदू धर्म में, भैरव को 'दंडपाणि' (जिसके हाथ में दण्ड हो) और 'स्वस्वा' (जिसका वाहन कुत्ता है) भी कहा जाता है। वज्रयान बौद्ध धर्म में, उन्हें बोधिसत्व मंजुश्री का एक उग्र वशीकरण माना जाता है और उन्हें हरुका, वज्रभैरव और यमंतक भी कहा जाता है।
वह पूरे भारत, श्रीलंका और नेपाल के साथ-साथ तिब्बती बौद्ध धर्म में भी पूजे जाते हैं।[1]
हिन्दू और जैन दोनों भैरव की पूजा करते हैं। जैन समुदाय में नाकोड़ा भैरव की पूजा की जाती है।
आकाश भैरव को शरभ भैरव या पक्षीराज भैरव भी कहा जाता है। मान्यता है कि हिरण्यकश्यप का वध करते समय उग्र भगवान नरसिंह को शांत करने के लिए पक्षीराज आकाश भैरव ने अवतार लिया था। आकाश भैरव को भगवान शिव का उग्र रूप भी माना जाता है। आकाश भैरव को 'आकाश का देवता' कहा जाता है। नेपाल के लोग उन्हें महारजन जाति, खासकर किसान समूहों का पूर्वज मानते हैं। आकाश भैरव के सिर पर बनी एक छवि को बौद्ध धर्म में बुद्ध और हिंदू धर्म में ब्रह्मा माना जाता है, इसलिए आकाश भैरव की मूर्ति की पूजा सभी लोग करते हैं।
उपासना की दृष्टि से भैरवनाथ एक दयालु और शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं तथा उज्जैन में भैरव बाबा की जागृत प्रतिमा है जो मदिरा पान करती है I
भैरव बाबा को सात्विक भोग में हलवा , खीर , गुलगुले ( मीठे पुए ) , जलेबी अत्याधिक पसंद हैं मिठाइयों का भोग भैरव बाबा को लगाकर काले कुत्ते को खिलाना चाहिए और काली उड़द की दाल से बने दही भल्ले , पकोड़े आदि का भोग भैरव बाबा को लगाकर किसी गरीब को खिलाना चाहिए I भैरव उग्र कापालिक सम्प्रदाय के देवता हैं और तंत्रशास्त्र में उनकी आराधना को ही प्राधान्य प्राप्त है। तंत्र साधक का मुख्य भैरव भाव से अपने को आत्मसात करना होता है। कोलतार से भी गहरा काला रंग, विशाल प्रलंब, स्थूल शरीर, अंगारकाय त्रिनेत्र, काले डरावने चोगेनुमा वस्त्र, रूद्राक्ष की कण्ठमाला, हाथों में लोहे का भयानक दण्ड , डमरू त्रिशूल और तलवार, गले में नाग , ब्रह्मा का पांचवां सिर , चंवर और काले कुत्ते की सवारी - यह है भैरव के रूप की कल्पना।
हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में एक राग का नाम इन्हीं के नाम पर भैरव रखा गया है।