भोला पासवान शास्त्री
भारतीय राजनीतिज्ञ / From Wikipedia, the free encyclopedia
भोला पासवान शास्त्री (21 सितंबर 1914 -- 9 सितंबर 1984) एक स्वतन्त्रता सेनानी और भारतीय राजनेता थे जो १९६८ और १९७१ के बीच तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे।[1] वे एक अत्यन्त ईमानदार व्यक्ति थे। महात्मा गांधी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राजनीति में सक्रिय हुए थे। बहुत ही गरीब परिवार में जन्म होने के बावजूद वे सुशिक्षित एवं बौद्धिक रूप से काफी सशक्त थे। कांग्रेस ने उन्हें तीन बार अपना नेता चुना और वह तीन बार अविभाजित बिहार के मुख्यमंत्री बनाये गये। उनका कार्यकाल निर्विवाद था और उनका राजनीतिक व व्यक्तिगत जीवन पारदर्शी था। वे बिहार के प्रथम मुख्यमन्त्री थे जो अनुसूचित जाति के थे।
भोला पासवान शास्त्री | |
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कार्यकाल जून 1971 - जनवरी 1972 | |
कार्यकाल जून 1969 - जुलाई 1969 | |
कार्यकाल फरवरी 1968 - जून 1968 | |
जन्म | 21 सितंबर 1914 और मृत्यु 9 सितंबर 1984 को दिल्ली में हुआ बैरगाछी, पूर्णिया जिला, बिहार |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
धर्म | हिन्दू धर्म |
पेड़ के नीचे बैठक बुलाना, झोपड़ी में रहना, साइकिल से गांव जाना इनकी पहचान और विशिष्टता थी। 'भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय' का नाम उनके नाम पर रखा गया है।काश, सब नेता भोला बाबू की तरह होते ये कहानी है... कहानी क्यों, ये तो एक सुखद हकीकत है गुजरे दौर की। उस दौर की जब एक नेता ने ईमानदारी की वो मिसाल कायम की थी जिसकी आज सिर्फ कसमें खाकर ही काम चला लिया जाता है। हो सकता है कि हमारे शब्द कुछ नेताओं को चुभें लेकिन क्या करें... जो सच है वो है। भोला बाबू ने जो जीवन जिया वैसा जीवन जीने के लिए ईमानदारी वाला कलेजा चाहिए।
पेड़ के नीचे जमीन पर मीटिंग करने वाले सीएम भोला पासवान शास्त्री चाहे मंत्री रहें या फिर बाद में मुख्यमंत्री... वो पेड़ के नीचे ही अपना काम भी करते थे। वो खुरदरी भूमि पर कंबल बिछाकर बैठते थे और वहीं अफसरों के साथ बैठक कर मामले का निपटारा भी कर देते थे। 1973 में वो केंद्र की इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री तक बने