मक्खलि गोशाल
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मक्खलि गोसाल या मक्खलि गोशाल (560-484 ईसा पूर्व) 6ठी सदी के एक प्रमुख आजीवक दार्शनिक हैं। इन्हें नास्तिक परंपरा के सबसे लोकप्रिय ‘आजीवक संप्रदाय’ का संस्थापक, 24वां तीर्थंकर और ‘नियतिवाद’ का प्रवर्तक दार्शनिक माना जाता है। जैन और बौद्ध ग्रंथों में इनका वर्णन ‘मक्खलिपुत्त गोशाल’, ‘गोशालक मंखलिपुत्त’ के रूप में आया है जबकि ‘महाभारत’ के शांति पर्व में इनको ‘मंकि’ ऋषि कहा गया है।[2] ये महावीर (599-527 ईसा पूर्व) और बुद्ध (563-483 ईसा पूर्व) के समकालीन थे।[3] इतिहासकारों का मानना है कि जैन, बौद्ध और चार्वाक-लोकायत की भौतिकवादी व नास्तिक दार्शनिक परंपराएं मक्खलि गोसाल के आजीवक दर्शन की ही छायाएं अथवा उसका विस्तार हैं।[4]
सामान्य तथ्य मक्खलि गोशाल, धर्म ...
मक्खलि गोशाल | |
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बाईं तरफ: महाकाश्यप एक आजीवक से मिलते हुए और परिनिर्वाण के बारे में चर्चा करते हुए[1] | |
धर्म | आजीविक |
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