विमान
पुष्पक विमान / From Wikipedia, the free encyclopedia
विमान शब्द भारतीय साहित्य (मुख्यतः वेद, रामायण, महाभारत एवं जैन साहित्य में) में एक उड़ाने वाली युक्ति को इंगित करता है। कहीं-कहीं पर यह 'मंदिर', 'स्थान' आदि का भी अर्थ रखता है। समरांगणसूत्रधार तथा वैमानिक शास्त्र आदि कई ग्रन्थों में इनका विशद तकनीकी वर्णन भी मिलता है। वर्तमान युग में वैज्ञानिक एवं संस्कृताचार्य शिवकर बापूजी तलपदे ने वेद शास्त्रों के अध्ययन के आधार पर विमान की रचना कर उस विमान का यशस्वी उड़ान प्रदर्शन मुम्बई के चौपाटी पर किया था । इस अभूतपूर्व वैज्ञानिक समारोह में मुम्बई के असंख्य नागरिकों के बीच बड़ौदा संस्थान के महाराज के प्रतिनिधि और कई संस्थाओं के मान्यवर उपस्थित थे । इस विमान का नाम था ' मरुतसखा '।[1] शिवकर बापूजी तलपड़े के हाथ महर्षि भारद्वाज की पुस्तक वैमानिक शास्त्र लगी और उससे प्रेरित होकर उन्होंने भारत में यह पहला सफल प्रयोग किया। यह विमान उन्होंने राइट बंधु से भी पहले सन १८९५ मे उडाया था।[2] भारतीय पांडुलिपियों मे अंशुबोधिनी नामक एक प्राचीन पुस्तक विमानों से संबंधित है।[3]
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