विश्व-भारती विश्वविद्यालय
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विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना 1921 में रबीन्द्रनाथ टैगोर
आदर्श वाक्य: | यत्र विश्वं भवत्येकनीड़म[1] |
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स्थापित | २२ दिसम्बर १९२१[1] |
प्रकार: | सार्वजनिक |
मान्यता/सम्बन्धता: | यूजीसी |
अवस्थिति: | शान्तिनिकेतन,बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल, भारत |
परिसर: | ग्रामीण |
जालपृष्ठ: | www.visva-bharati.ac.in |
ने पश्चिम बंगाल के शान्तिनिकेतन नगर में की। यह भारत के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है।[2] अनेक स्नातक और परास्नातक संस्थान इससे संबद्ध हैं।
शान्ति निकेतन के संस्थापक रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म १८६१ ई में कलकत्ता में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। इनके पिता महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर ने १८६३ ई में अपनी साधना हेतु कलकत्ते के निकट बोलपुर नामक ग्राम में एक आश्रम की स्थापना की जिसका नाम `शांति-निकेतन' रखा गया। जिस स्थान पर वे साधना किया करते थे वहां एक संगमरमर की शिला पर बंगला भाषा में अंकित है--`तिनि आमार प्राणेद आराम, मनेर आनन्द, आत्मार शांति।' १९०१ ई में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इसी स्थान पर बालकों की शिक्षा हेतु एक प्रयोगात्मक विद्यालय स्थापित किया जो प्रारम्भ में `ब्रह्म विद्यालय,' बाद में `शान्ति निकेतन' तथा १९२१ ई। `विश्व भारती' विश्वविद्यालय के नाम से प्रख्यात हुआ। टैगोर बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति थे।