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राठौर नेपाल, भारत तथा पाकिस्तानमा बसोवास गर्ने विभिन्न जातिहरूको थर हो । उत्तर भारत र पाकिस्तानमा, राठौरहरू राजपुत,[1] मराठा,[2] र कोली जातिमा पाइन्छ ।[3]
नेपालमा कश्यप गोत्रका राठौर छन् भने भारतमा शाण्डिल्य गोत्रका राठौर राजपुत भेटिन्छन । नेपालका राठौर गुल्मीको इस्मा हुँदै सल्यानका राजाको राज्यमा आएर सल्यानबाट फैलिएको मान्यता छ । नेपाली राठौरहरूको कुलदेवता मष्ट /मष्टो हुन् । नेपालमा राठौरहरू दांग, बाँके, बर्दिया र कैलाली क्षेत्रमा भेटिन्छन ।
जोधा, वधेल, जैतावत, कुंपावत, चंपावत, मेड़तिया, बिकावत, उदावत, करमसोत आदि राठौड़ राजपूतों शाखा वा उपकुल हुन्।।[4]
नाम | राज्य आरम्भ | समाप्त | |
---|---|---|---|
1 | राव जोधा - जोधपुरको संस्थापक र राठौर वंशको १५औं मुखिया। | 12 मई 1459 | 6 अप्रैल 1489 |
2 | राव सातल - अफ़्ग़ान हमलावरबाठ १४० महिलालाई बचाउदा घाउबाट मृत। | 6 अप्रैल 1489 | मार्च 1492 |
3 | राव सुजा | मार्च 1492 | 2 अक्टूबर 1515 |
4 | राव बिरम सिंह – बघाको पुत्र | 2 अक्टूबर 1515 | 8 नवम्बर 1515 |
5 | राव गंगा - राणा सांगा के भारत के सुल्तान में सहयोग। | 8 नवम्बर 1515 | 9 मई 1532 |
6 | राव मालदेव – शेरशाह सूरी के आक्रमण को सफलतापूर्वक पीछे धकेला। फेरिश्ता ने हिन्दुस्तान का सबसे प्रभावशाली शासक कहा है। | 9 मई 1532 | 7 नवम्बर 1562 |
7 | राव चन्द्र सेन – मुग़लों के साथ युद्ध में अपना अधिकतर क्षेत्र खो दिया। | 7 नवमर 1562 | 1565 |
8 | राजा उदय सिंह मोटा राजा – एक जागीरदार के रूप में मुग़लों ने 'राजा' पुनः स्थापित किया। | 4 अगस्त 1583 | 11 जुलाई 1595 |
9 | सवाई राजा सुरजमल | 11 जुलाई 1595 | 7 सितम्बर 1619 |
10 | महाराजा गज सिंह प्रथम – अपने आप से 'महाराजा' उपनाम लेने वाले प्रथम | 7 सितम्बर 1619 | 6 मई 1638 |
11 | महाराजा जसवंत सिंह - धर्मातपुर के युद्ध में औरंगजेब से लड़े। | 6 मई 1638 | 28 नवम्बर 1678? |
12 | राजा राय सिंह – राजा अमर सिंह के पुत्र। | 1659 | 1659 |
13 | महाराजा अजीत सिंह - औरंगजेब के साथ २५ वर्षों के युद्ध के बाद मारवाड़ के महाराजा बने। दुर्गादास राठौड़ ने इस युद्ध में मुख्य भूमिका निभाई। | 19 फ़रवरी 1679 | 24 जून 1724 |
14 | राजा इन्द्र सिंह – औरंगजेब द्वारा महाराजा अजीत सिंह के विरुद्ध घोषित किया गया लेकिन मारवाड़ में लोकप्रिय नहीं हुआ। | 9 जून 1679 | 4 अगस्त 1679 |
15 | महाराजा अभय सिंह- सरबुलंद खान को हराकर छोटे समय के लिए पूरे गुजरात पर कब्जा किया। | 24 जून 1724 | 18 जून 1749 |
16 | महाराज राम सिंह – प्रथम राज्यकाल | 18 जून 1749 | जुलाई 1751 |
17 | महाराजा बख्त सिंह- एक महान योद्धा और जनरल, उन्होंने सारबुलंद खान के सामने मारवाड़ी सेना का नेतृत्व किया और उसे हराया। गंगवाना के युद्ध में उन्होंने मुग़लों और कच्छवाहों की संयुक्त सेना को हराया। | जुलाई 1751 | 21 सितम्बर 1752 |
18 | महाराजा विजय सिंह – प्रथम राज्यकाल | 21 सितम्बर 1752 | 31 जनवरी 1753 |
19 | महाराजा राम सिंह – दूसरा राज्यकाल | 31 जनवरी 1753 | सितम्बर 1772 |
20 | महाराजा विजय सिंह – दूसरा राज्यकाल - महादजी सिंधिया से हारकर अजमेर नगर और दुर्ग को अभ्यर्पण करने को मजबूर हुये। | सितम्बर 1772 | 17 जुलाई 1793 |
21 | महाराजा भीम सिंह | 17 जुलाई 1793 | 19 अक्टूबर 1803 |
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महाराजा मान सिंह - ६ जनवरी १८१८ को ब्रिटेन के साथ संधि की। | 19 अक्टूबर 1803 | 4 सितम्बर 1843 |
23 | महाराजा सर तख्त सिंह – अहमदनगर के पूर्व शासक अजीत सिंह का वंशज। | 4 सितम्बर 1843 | 13 फ़रवरी 1873 |
24 | महाराजा सर जसवंत सिंह द्वितीय – भारत के सम्राट | 13 फ़रवरी 1873 | 11 अक्टूबर 1895 |
25 | महाराजा सर सरदार सिंह – ब्रितानी भारतीय सेना में कर्नल | 11 अक्टूबर 1895 | 20 मार्च 1911 |
26 | महाराजा सर सुमैर सिंह – ब्रितानी भारतीय सेना में कर्नल | 20 मार्च 1911 | 3 अक्टूबर 1918 |
27 | महाराजा सर उमैद सिंह – ब्रितानी भारतीय सेना में लेफ्टिनेन्ट-जनरल | 3 अक्टूबर 1918 | 9 जून 1947 |
28 | महाराजा हनवंत सिंह – मारवाड़ के शासक (जोधपुर) | 9 जून 1947 | 15 अगस्त 1947 |
29 | महाराज गज सिंह द्वितीय - वर्तमान |
राठौर वंशका विभिन्न शाखाहरू क्रमशः मारवाडभर फैलिए र पछि मध्य भारत र गुजरातमा राज्य स्थापना गरे। मारवाड शाही परिवारलाई राठौरहरूको प्रधान घर मानिन्छ। सन् १९४७ मा भारतको स्वतन्त्रताको समयमा, राठौर वंशका विभिन्न शाखाहरूद्वारा शासित रियासतहरू समावेश थिए:[5][6]
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