नागरीप्रचारिणी सभा
हिन्दी भाषा तथा देवनागरी लिपि के प्रचार-प्रसार करने वाली संस्था / From Wikipedia, the free encyclopedia
नागरीप्रचारिणी सभा, हिन्दी भाषा और साहित्य तथा देवनागरी लिपि की उन्नति तथा प्रचार और प्रसार करनेवाली भारत की अग्रणी संस्था है। भारतेन्दु युग के अनन्तर हिन्दी साहित्य की जो उल्लेखनीय प्रवृत्तियाँ रही हैं उन सबके नियमन, नियन्त्रण और संचालन में इस सभा का महत्वपूर्ण योग रहा है। सभा का प्रधान कार्यालय वाराणसी में है और इसकी शाखाएँ नयी दिल्ली और हरिद्वार में।
नागरीप्रचारिणी सभा | |
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Nagari pracharini sabhaa bhavan.gif | |
स्थान | काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
पता | नागरीप्रचारिणी सभा, विश्वेश्वर गंज मुख्य डाकघर के सामने, वाराणसी- 221001 उत्तर प्रदेश। |
नागरीप्रचारिणी सभा के ही तत्वावधान में हिन्दी विश्वकोश, हिन्दी शब्दसागर तथा पारिभाषिक शब्दावली का निर्माण हुआ। सभा ने आर्यभाषा पुस्तकालय और मुद्रणालय स्थापित किया तथा सरस्वती नामक प्रसिद्ध पत्रिका का श्रीगणेश किया। हस्तलिखित ग्रन्थों की खोज और संरक्षण के लिये सन् १९०० से सभा ने अन्वेषकों को गाँव-गाँव और नगर-नगर में घर-घर भेजकर इस बात का पता लगाना आरम्भ किया कि किनके यहाँ कौन-कौन से ग्रंथ उपलब्ध हैं। सभा के ही प्रयत्न से सन् १९०० से उत्तर प्रदेश (तत्कालीन संयुक्त प्रदेश) में नागरी के प्रयोग की आज्ञा हुई और सरकारी कर्मचारियों के लिए हिन्दी और उर्दू दोनों भाषाओं का जानना अनिवार्य कर दिया गया। अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन का संगठन और सर्वप्रथम उसका आयोजन भी सभा ने ही किया था। भारत कला भवन नामक अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त पुरातत्व और चित्रसंग्रह का संरक्षण, पोषण और संवर्धन आरम्भिक नौ वर्षों तक यह सभा ही करती रही।