वाराणसी
उत्तर प्रदेश में एक नगर / From Wikipedia, the free encyclopedia
वाराणसी, जिसे काशी और बनारस भी कहा जाता है, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन नगर है। हिन्दू धर्म में यह एक अतयन्त महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थल है, और बौद्ध व जैन धर्मों का भी एक तीर्थ है।[1] हिन्दू मान्यता में इसे "अविमुक्त क्षेत्र" कहा जाता है।[2][3]
वराणसी काशी या बनारस | |
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महानगर व तीर्थस्थल | |
बायें से दक्षिणावर्त: अहिल्या घाट, काशी विश्वनाथ मंदिर, नया काशी विश्वनाथ मंदिर, गंगा नदी, वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का प्रवेशद्वार, बीच में बनारसी साड़ी (ऊपर), काशी करवट-सिंधिया घाट, (नीचे) | |
निर्देशांक: 25.319°N 83.012°E / 25.319; 83.012 | |
देश | भारत |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | वाराणसी ज़िला |
शासन | |
• प्रणाली | नगर निगम |
• सभा | वाराणसी नगर निगम |
क्षेत्र | 82 किमी2 (32 वर्गमील) |
• महानगर | 163.8 किमी2 (63.2 वर्गमील) |
ऊँचाई | 80.71 मी (264.80 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• महानगर व तीर्थस्थल | 12,12,610 |
• महानगर | 14,32,280 |
वासीनाम | बनारसी |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी, भोजपुरी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 221 001 से 221 0xx |
दूरभाष कोड | 0542 |
वाहन पंजीकरण | UP-65 |
लिंगानुपात | 0.926 ♂/♀ |
साक्षरता दर | 80.31% |
एच डी आई | 0.645 |
वेबसाइट | varanasi |
वाराणसी संसार के प्राचीन बसे शहरों में से एक है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं।[4] वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था।
वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।"[5][6]