भारतीय राजनेता आ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री From Wikipedia, the free encyclopedia
आदित्यनाथ (जनम: अजय मोहन बिष्ट[1]; 5 जून 1972) जिनका के योगी आदित्यनाथ के नाँव से बेसी जानल जाला, भारतीय राजनीतिक नेता आ उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री बाड़ें।[2][3] आदित्यनाथ गोरखपुर में मौजूद गोरखनाथ पीठ के महंथ बाने आ मुख्यमंत्री बने से पहिले गोरखपुर से भाजपा के लोकसभा सांसदो रहल बाने। ऊ अपना से पहिले रहल सांसद महंथ अवैद्यनाथ के धार्मिक आ राजनीतिक उत्तराधिकारी हवें आ एह सीट से लगातार पाँचवीं बेर संसद में पहुँचल रहने।
योगी आदित्यनाथ | |
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उत्तर प्रदेश क 21वाँ मुख्यमंत्री | |
पद पर मौजूद | |
पदभार लिहल गइल 19 मार्च 2017 | |
गवर्नर | राम नाइक |
डिप्टी | केशव प्रसाद मौर्य दिनेश शर्मा |
इनसे पहिले | अखिलेश यादव |
भारतीय संसद सदस्य गोरखपुर सीट से | |
पद पर मौजूद | |
पदभार लिहल गइल 1998 | |
इनसे पहिले | महंथ अवैद्यनाथ |
निजी जानकारी | |
जनम | अजय मोहन बिष्ट[1] 5 जून 1972 पंचूड़, पौड़ी गढ़वाल, उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड में) |
राजनीतिक पार्टी | भारतीय जनता पार्टी |
महतारी संस्था | गढ़वाल बिस्वबिद्यालय |
अकुपेशन | राजनेता धार्मिक नेता |
वेबसाइट | www |
आदित्यनाथ के छवि फायरब्रांड हिंदुत्ववादी नेता के हवे। ऊ हिंदू युवा वाहिनी नाँव से संगठन के स्थापना भी कइले बाने जेकरा सामुदायिक दंगा-फसाद में शामिल रहले के खबर बा।[4] आदित्यनाथ के कई ठे बयानन पर पहिले भी बिबाद हो चुकल बाटे।[5][6][7]
योगी आदित्यनाथ के जनम एक ठो गढ़वाली राजूपत परिवार में 5 जून 1972 के, उत्तर प्रदेश के पौड़ी गढ़वाल जिला (अब उत्तराखंड में) के पंचूड़ गाँव में भइल आ जनम नाव अजय सिंह रहल।[8][9][10] ऊ श्रीनगर, गढ़वाल में मौजूद हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय से गणित बिसय में आपन ग्रेजुएशन (बीएस सी) के डिग्री लिहलें।[11][12]
1990 के आसपास अजय सिंह आपन घर त्याग दिहलें आ अजोध्या में रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़ गइलें जेकरे दौरान ऊ गोरखनाथ पीठ के तत्कालीन महंथ अवैद्यनाथ के परभाव में आ के उनकर चेला बन गइलें। बाद में इनके "योगी आदित्यनाथ" नाँव मिलल आ ई अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी घोषित भइलें। कंठी लिहले का बाद गोरखपुर में रहत आदित्यनाथ बाद में अपना मूल गाँव भी जात रहल बाने आ 1998 में उहवाँ एक ठो इस्कूल के निर्माण भी करवा चुकल बाने।[13]
आदित्यनाथ, हिन्दुत्ववादी बिचारधारा के एक ठो खास परंपरा से आवे लें जेकर नेता उत्तर प्रदेश के महंथ दिग्विजय नाथ रहलें जे 22 दिसंबर 1949 के हिंदुत्ववादी लोग के ले के बाबरी मस्जिद पर चढ़ाई कइलेन।[4][14] दिग्विजय नाथ आ उनके चेला अवैद्यनाथ, दुनों जन हिंदू महासभा के सदस्य रहलें आ एकरे टिकट पर लोकसभा सांसद चुनल गइलेन। बाबरी मस्जिद आंदोलन के दौरान संघ परिवार आ महासभा एक साथ आ गइलीं आ 1991 में अवैद्यनाथ भाजपा से जुड़ गइलें, हालाँकि एकरे बावजूद आप कुछ स्वतंत्र अस्तित्व बरकरार रखलें। आदित्यनाथ के 1994 में महंथ अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी के दर्जा मिलल आ एकरे चार बरिस बाद ऊ भारतीय संसद के निचला सदन, लोकसभा खातिर चुनाव जितलें।[4]
गोरखपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीत के संसद में पहुँचे वाला 26 बरिस के आदित्यनाथ ओह समय सभसे कम उमिर वाला सांसद रहलें आ एकरे बाद पाँच बेर लगातार एही जा से चुनाव जीत के संसद में पहुँचलें (1998, 1999, 2004, 2009 आ 2014 लोकसभा चुनावन में)।
पहिली बेर चुनाव में जीत दर्ज करे के बाद आदित्यनाथ, आपन खुद के संगठन, हिन्दू युवा वाहिनी के स्थापना कइलेन जे पूर्वांचल में एक ठो बिबादास्पद संगठन रहल बा। भाजपा से टिकट के बाँट के ले के भी आदित्यनाथ के बिबाद रहल, बाकी भाजपा एकरा के निपटा लेहलस काहें कि योगी भाजपा खातिर स्टार प्रचारक के हैसियत रखे लें।[4][15]
हाल के घटनाक्रम में, 2017 के उत्तर प्रदेश बिधान सभा चुनाव में भाजपा के भारी जीत के बाद, आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश के अगिला मुख्यमंत्री चुनल गइल आ ऊ आज 19 मार्च के एह पद के शपथ लिहलें।[16]
साल 2005 में, आदित्यनाथ एक ठो शुद्धीकरण के मुहीम के अगुआई कइलें आ खबरन के मोताबिक अइसन एक ठो घटना में एटा में लगभग 1,800 लोग ईसाई धर्म से हिंदू धर्म में सामिल भइल।[17] ऊ कहलें कि, "हम तबतकले ना रुकब जबले यूपी आ भारत के हिंदू राष्ट्र में न बदल दीं।"[17][17][18]
जनवरी 2007 में, गोरखपुर में मोहर्रम के मौका पर हिंदू-मुस्लिम लोग में झड़प भइल आ एक ठो हिंदू जुवा के अस्पताल में भर्ती करे के पड़ल। गोरखपुर के डीएम साफ कइलें कि योगी के घटनास्थल के दौरा न करे के चाहीं काहें से कि एह से तनाव बढ़ी। सुरू में योगी राजी हो गइलें बाकी अस्पताल में युवक के मौत के बाद ऊ डीएम के आदेश ना मान के अपना समर्थकन के साथ घटना स्थल पर गइलें आ उहाँ अहिंसात्मक धरना पर बइठ गइलें; हालाँकि, उनके भड़काऊ भाषण के बाद उनके समर्थक लगहीं के एक ठो मजार फूँक दिहलें।[19][20] लोकल पुलिस कर्फ्यू लगा दिहलस जेकर आदित्यनाथ उल्लंघन कइलें आ उनके आईपीसी के धारा 151A, 146, 147, 279, 506 के तहत शांति भंग करे के आरोप में गिरफ्तार कइल गइल आ एक पाख खातिर रिमांड पर भेज दिहल गइल।[21][22] उनके गिरफ्तारी से तनाव अउरी बढ़गइल आ बंबई जाए वाले रेल गोदान एक्सप्रेस के कुछ डिब्बा फूँक दिहल गइल जेकर आरोप बिरोध प्रदर्शन करे वाला हिंदू युवा वाहिनी के लोग पर लागल।[23] एह गिरफ्तारी के अगिला दिन गोरखपुर के डीएम आ एसपी के तबादला हो गइल आ एह घटना के मुलायम सिंह सरकार पर योगी आदित्यनाथ के दबाव के के रूप में देखल गइल।[19][22][24] तनाव जल्दिये गोरखपुर में दंगा के रूप ले लिहलस आ मस्जिद, घर आ बस अउरी ट्रेन जरावल गइलीं।[17] [19] जेल से छूटले के बाद अपना कैद पर ऊ संसद में बिरोध दर्ज करवलें।[25]
मार्च 2011 में, एक ठो डाकुमेंटरी फिलिम जेकर टाइटिल रहल सैफ्रॉन वार - रैडिकलाइजेशन ऑफ हिंदुइस्म[26] आदित्यनाथ पर उत्तर प्रदेश के देहाती इलाका में विराट हिंदुस्तान रैली द्वारा धार्मिक तनाव उपजावे के आरोप लगवलस। आदित्यनाथ पर एक ठो नामालूम नेता के बयान के समय स्टेज पर मौजूद रहे के आरोप लागल जेह में ऊ भाषण देवे वाला के बयान रहे कि मुसलमान औरतन के कब्र में निकाल के उनहन के साथ बलात्कार करे के चाहीं; ई रिकार्डिंग मार्च 2015 में सोशल मीडिया पर वाइरल भइल।[27] अगस्त 2014 में कांग्रेस प्रवक्ता शहजाद पूनावाला राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के लिखलें कि धार्मिक भावना भड़कावे के आरोप में आदित्यनाथ पर ऍफ़आईआर दर्ज होखे के चाहीं।[28]
एक ठो नामालूम तारीख़ के बीडियो जे यूट्यूब पर अगस्त 2014 में सोझा आइल, आदित्यनाथ, खबर के मोताबिक आजमगढ़ में एक ठो सभा के दौरान, बियाह से उपजल धार्मिक बिबाद पर कहत लउकलें, "अगर ऊ एक ठो हिंदू लड़की लिहें, हमनी के 100 मुसलमान लड़की लिहल जाई" आ एही बीडियो में, ऊ आगे कहलें, "अगर ऊ लोग एक ठो हिंदू मारी, 100 गो मुसलमान हमनी के" आ एकरा बाद भीड़ के आवाज में उनके आवाज दब गइल जे चिल्लाइल: "मारो"।[18][29][30]
जून 2015 में, आदित्यनाथ सूर्य नमस्कार के सपोर्ट में कहलें कि: "हमार ओह लोग से बिनम्र अनुरोध बा, जे लोग सुरुज नियर देवता में समुदायवाद देखतबा, कि ऊ लोग समुंदर में बूड़ जाय या बाकी जिनगी भर खातिर अपना के अन्हार कोठरी में बंद क ले।[31]
2015 के अंत के समय के दौरान असहिष्णुता के मुद्दा पर बात करत घरी, आदित्यनाथ भारतीय एक्टर शाहरुख़ खान के तुलना हाफिज सईद के साथै कइलें आ कहलें, "शाहरुख़ खान के ई बात इयाद रखे के चाहीं कि देस के बहुसंख्यक जनता उनके स्टार बनवले बा, आ अगर ऊ उनके फिलिम के बायकाट क दी ता उनहूँ के सड़क पर आ जाये के पड़ी। ई दुर्भाग के बाति बा कि शाह रुख खान उहे भाषा बोलत बाने जे हाफिज सईद के बा।"[32][33]
3 जनवरी 2016 के, पठानकोट हमला के एक दिन बाद योगी कहलें कि, "पठानकोट हमला एक बेर फिर ई साबित क दिहले बा कि शैतान में भी सुधार हो सके ला बाकि पाकिस्तान में ना"।[34]
आदित्यनाथ, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ओह आदेश के तारीफ़ कइलें जेह में सात गो मुस्लिम-मेजारिटी वाला देस से आवे वाला लोग पर प्रतिबन्ध के बात कइल गइल, आ कहलें कि भारतो के आतंकवाद से निपटे खातिर अइसन नीतिगत कदम उठावे के चाहीं।[35]
आदित्यनाथ के भाजपा के साथ एक दशक से लंबा समय से तनाव भरल रिश्ता रहल बा।[36] उत्तर प्रदेश के पूरबी भाग में आपन खुद के अलग राजनीतिक आधार होखे के कारण आदित्यनाथ पार्टी में अउरी ढेर ताकत के माँग के चलते पार्टी से अउरी बिबाद बढ़ल।[37]
22–24 दिसंबर 2006 के जोगी आदित्यनाथ गोरखपुर में तीन दिना खातिर बिसाल हिंदू महासम्मेलन कइलें, ठीक ओही समय जब भाजपा लखनऊ में अपना राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बैठक करत रहल। साल 2007 के चुनाव में भाजपा के साथे सीट के बाँट खातिर योगी आदित्यनाथ के बिबाद भइल जब ऊ उत्तर प्रदेश के पूरबी इलाका, पूर्वांचल के 100 सीट पर आपन पसंद के उमीदवार खड़ा कइल चाहत रहलें, जेकरा से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व इनकार क दिहलस। बाद में समझौता भइल आ इनके आठ गो उमेदवार लोग के टिकट मिलल।[38]
मार्च 2010 में, आदित्यनाथ कुछ अइसन भाजपा सांसद लोग में रहलें जे लोग महिला आरक्षण बिधेयक पर पार्टी के विप (whip) के उल्लंघन में बयान दिहल।[39]
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