उपभाषा
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उपभाषा किसी भाषा के ऐसे विशेष रूप को बोलते हैं जिसे उस system bolte public के बोलने वाले लोगों में एक भिन्न समुदाय प्रयोग करता हो। अक्सर 'उपभाषा' किसी भाषा के क्षेत्रीय प्रकारों को कहा जाता है, उदाहरण के लिए छत्तीसगढ़ी, अवधी, हरयाणवी, मारवाड़ी, ब्रजभाषा और खड़ीबोली हिन्दी की कुछ क्षेत्रीय उपभाषाएँ हैं।[1] लेकिन कभी-कभी किसी सामजिक वर्ग द्वारा प्रयोग होने वाली भाषा की क़िस्म को भी 'उपभाषा' कह दिया जाता है। कभी-कभी उपभाषा को बोली भी कहते हैं, हालाँकि यह शब्द मानक भाषाओं के लिए भी इस्तेमाल होता है।[2]