गंगोत्री हिमानी
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गंगोत्री हिमानी (Gangotri Glacier) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित हिमालय की एक हिमानी (ग्लेशियर) है। यह क्षेत्र हिन्दुओं के लिए एक तीर्थ है और तिब्बत से सीमावर्ती है। गंगोत्री हिमानी गंगा नदी के प्रमुख स्रोतों में से है और 27 घन किमी के आकार के साथ हिमालय की सबसे बड़ी हिमानियों में से एक है। यह 30 किमी (19 मील) लम्बी और 2 से 4 किमी (1 से 2 मील) चौड़ी है। इस हिमानी के इर्दगिर्द गंगोत्री समूह के पर्वत हैं, जिममें बहुत कठिनाई से चढ़ने वाले शिवलिंग, थलै सागर, मेरु और भागीरथ-तृतीय शामिल हैं। गंगोत्री हिमानी इस समूह के सर्वोच्च पर्वत, चौखम्बा, के नीचे एक हिमगह्वर में आरम्भ होती है और फिर लगभग पश्चिमोत्तर दिशा में बहती है। हिमानी का अंत जहाँ होता है उसका नाम गौमुख है, क्योंकि उस स्थान का आकार एक गाय के मुख से मिलता है, और यह स्थान गंगोत्री बस्ती से 19 किमी दूर है। गौमुख शिवलिंग पर्वत के चरणों के समीप है और दोनों के बीच तपोवन नामक मर्ग (घास का मैदान) है।[1]
गंगोत्री हिमानी | |
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Gangotri glacier | |
गौमुख, गंगा का स्रोत | |
स्थान | उत्तरकाशी ज़िला, गढ़वाल हिमालय, उत्तराखण्ड, भारत |
निर्देशांक | 30.833°N 79.167°E / 30.833; 79.167 |
गंगोत्री हिमानी हिंदुओं का धार्मिक पवित्र तीर्थ - स्थल है। हिंदू गंगोत्री से निकलने वाले बर्फ के ठंडे जल में स्नान करते हैं और तपोवन के लिए पैदल यात्रा आरंभ करते हैं। कुछ लोग तपोवन में ही रुकते हैं। गंगोत्री से गौमुख जाने वाले रास्ते में देवगढ़, चिरभास, भोजवास स्थान पड़ते हैं। इस समय केवल भोजवास में ही रुकने की व्यवस्था है,यद्यपि वन विभाग नाका (चेक पोस्ट) चिरभास और भोजवास दोनो में ही है। सन् २०१३ में उत्तर भारतीय बाढ़ में बहुत कुछ नष्ट हो गया था। चिरभास के आगे रास्ता खराब है,२ किमी चौड़े रास्ते में भू - स्खलन होने के कारण। इसलिए अब इसके आगे पहुंचना भी थोड़ा कठिन है।