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गूगल द्वारा विकसित वेब ब्राउज़र विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
गूगल क्रोम एक वेब ब्राउज़र है जिसे गूगल द्वारा मुक्त स्रोत कोड द्वारा निर्मित किया गया है। इसका नाम ग्राफिकल यूज़र इंटरफ़ेस (GUI) के फ्रेम यानि क्रोम पर रखा गया है। इस प्रकल्प का नाम क्रोमियम है तथा इसे बीएसडी लाईसेंस के तहत जारी किया गया है। २ सितंबर, २००८[1] को गूगल क्रोम का ४३ भाषाओं[2] में माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़ प्रचालन तंत्र हेतु बीटा संस्करण जारी किया गया। यह नया ब्राउज़र मुक्त स्रोत लाइनक्स कोड पर आधारित होगा, जिसमें तृतीय पार्टी विकासकर्ता को भी उसके अनुकूल अनुप्रयोग बनाने की सुविधा मिल सकेगी।[3]
गूगल क्रोम | |
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Google Chrome on Windows 10 screenshot.png गूगल क्रोम का हिन्दी विकिपीडिया लोड होने पर लिया गया स्क्रीनशॉट | |
विकासकर्ता | गूगल इंक |
मूल रिलीज़ | सितम्बर 2, 2008 |
में लिखा गया | सी++, असेंबली |
प्रचालन तंत्र |
माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़ (विंडोज़ एक्सपी एसपी२ एवं उत्तरोत्तर); मैक ओएस एक्स एवं लाइनेक्स विकासाधीन |
इंजिन | वेबकिट (के.एच.टी.एम.एल पर आधारित) |
आकार | १०.५ मेगाबाइट्स |
में उपलब्ध | ५० भाषाओं में |
विकास स्थिति | सक्रिय |
प्रकार | वेब ब्राउज़र |
लाइसेंस |
गूगल क्रोम सेवा नीति (गूगल क्रोम एग्ज़ीक्यूटेबल), बीएसडी (स्रोत कूट एवं क्रोमियम एग्ज़ीक्यूटेबल) |
वेबसाइट | www.google.com/chrome code.google.com/chromium/ dev.chromium.org/ |
गूगल क्रोम को बेहतर सुरक्षा, बेहतर गति[3] एवं स्थायित्व को ध्यान में रखकर बनाया गया था।[4] क्रोम का सबसे प्रमुख लक्षण इसकी गति और अनुप्रयोग निष्पादन (एप्लीकेशन परफॉर्मेंस) हैं। इसके बीटा संस्करण को मार्च २००९ में लॉन्च किया गया था। इस संस्करण में जो नई सुविधाएं जोड़ी गई थीं उनमें प्रपत्र स्वतःपूर्ण (फॉर्म ऑटोफिल), संपूर्ण पृष्ठ ज़ूम (फुल पेज जूम), ऑटो स्क्रॉल और नए प्रकार का ड्रैग टैब प्रमुख है।[5] इस ब्राउजर की वेबसाइट के अनुसार, देखने में ये परंपरागत गूगल मुखपृष्ठ (क्लासिकल गूगल होमपेज) की तरह है और तेज तथा स्पष्ट है। गूगल क्रोम का प्रयोग करने पर अन्य ब्राउज़रों की भांति सीधे खाली पृष्ठ नहीं खुलता बल्कि ब्राउजर उपयोक्ता द्वारा सबसे ज्यादा प्रयोग किए गये अंतिम कुछ वेबपृष्ठों का थम्बनेल दृश्य दिखाता है, जिसे क्लिक करने पर वांछित पृष्ठ खुल जाता है। (देखें: नीचे दिया चित्र) इस कारण से उपयोक्ता अपने मनवांछित पृष्ठों पर शीघ्र ही नेविगेट कर पाता है। इसमें उपलब्ध ओमनीबॉक्स का लाभ ये है कि बिना गूगल खोले ही, गूगल में सर्च कर सकते हैं। उदाहरण के लिए एड्रेस बार में मात्र ओलंपिक डालते ही उससे संबंधित वेबसाइट के पते बता देता है, साथ ही अधूरे और गलत पतों को रिकवर करने की सुविधा भी इसमें है।
इस ब्राउजर में उपस्थित टास्क मैनेजर आइकन से इस बारे में जानकारी मिल सकती है, कि किस प्रक्रिया में कितनी स्मृति (मेमोरी) का प्रयोग हो रहा है।[4] इसके साथ ही यदि कोई वेबसाइट नहीं चल रही तो उससे दूसरी साइट पर फर्क नहीं पड़ता है। क्रेश रिकवरी के द्वारा कंप्यूटर सिस्टम के अचानक बंद हो जाने पर और फिर खोलने पर यह उपयोक्ता से पूछता भी है, कि वह उसी पृष्ठ पर पुन: आना चाहते हैं या फिर नया पृष्ठ खोलना चाहते हैं। इनकॉग्निटो के कारण उपयोक्ता आईपी एड्रेस लीक नहीं होता जिससे सुरक्षा बढ़ जाती है। कुछ साइट ऐसी हैं, जहां पहली बार किसी चीज को लोड करते हुए समय कम लगेगा, फिर जितनी बार आएंगे, समय बढ़ता जाएगा। प्रत्येक साइट को उसको सर्फ करने वाले के बारे में जानकारी उसके आईपी एड्रेस से मिलती है।
क्रोम में ओपेरा वेब ब्राउज़र की भांति ही टैब प्रणाली का उपयोग किया गया है। इस टैब प्रणाली में ज्यादा प्रयोग की गयी वेबसाइटों का यह अपने आप इतिहास बनाकर नये टैब में जोड़ता चला जाता है। जैसे ही नये टैब पर क्लिक करते हैं यह अपने आप सहेजे गये पृष्ठों को बाक्स में प्रदर्शित करता है।[2] इससे पूर्व पसंदीदा साईटों को नये टैब में सहेजकर रखने की यह सुविधा केवल ओपेरा के ब्राउजर में मिलती थी। गूगल द्वारा अभी तक समर्थित फायरफाक्स सबसे बड़ी कमी यह थी कि डिफाल्ट सर्च इंजन गूगल ही होता था जिसमें सीधे होमपेज से जीमेल आदि की सुविधाओं की कमी रहती थी। बाद में आई.ई-७ में एकसाथ कई सारे होमपेज बनाकर रखने की सुविधा मिली थी। किन्तु इसकी कमी इसकी मंथर गति है। भारत में १२८ केपीबीएस स्पीड को ब्राडबैण्ड स्पीड कहा जाता है, जबकि पश्चिम के देशों में १ एमबीपीएस की स्पीड ब्राडबैण्ड की श्रेणी में आती है। औसत इंटरनेट उपभोक्ता इसी स्पीड पर काम करते है। छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में तो यह स्पीड ७६ केपीबीएस मात्र ही होती है। ऐसे में आई ई-७ अत्यधिक धीमा हो जाता है। यहां ओपेरा, सफारी और फायरफाक्स इस लिहाज से कुछ बेहतर हैं लेकिन इतनी कम स्पीड पर कोई भी ब्राउजर ठीक से काम नहीं कर सकता। इसी कारण से आई.ई-६ ही अधिक प्रयोग होता आया है।
क्रोम के प्रयोग करते हुए ब्राउजर के ऊपर कोई पट्टी नहीं दिखाई देती है जिस पर फाईल, एडिट और विकल्प के बटन होते थे। इसे हटाने का सही कारण तो ज्ञात नहीं है, किंतु इससे विन्डो का आकार काफी बढ़ जाता है।[2] १४-१५ इंच का मॉनीटर प्रयोग करते हुए भी बेहतर विजबिलटी मिलती है। हां सीधे क्लिक कर कुछ विकल्प चुने जा सकते थे, जिनके लिए इसमें कुछ शार्टकट कुंजियों का सहारा लेना पड़ता है। क्रोम में एक कमी है कि इसमें माउस के दायें क्लिक पर रिफ्रेश का विकल्प नहीं मिलता है। इस कमी के संग ही एक अच्छाई भी है, वह है गुप्त पेज। यदि बिना रिकॉर्ड की सर्फ़िंग करनी हो तो गूगल गुप्त विन्डो का प्रयोग कर सकते हैं।
गूगल ने हाल ही में क्रोम ब्राउजर के तीसरे संस्करण का बीटा वर्जन रिलीज़ किया है। इस क्रोम में एक्सटेंशन सपोर्ट पहले से ही चालू होते है। इस संस्करण में थीमिंग सुविधाएं भी सम्मिलित हैं[6], किंतु इनके लिए कस्टमाइज़ एण्ड कंट्रोल में ऑप्शंस में पर्सनल स्टफ़ में जाना होता है। दायें दिये चित्र में देखें जिसमें थीम्स वाले अनुभाग में गेट थीम्स नामक बटन मिलेगा जो कि गूगल की थीम गैलरी में ले जाता है। इसे क्लिक करने पर नीचे वाले चित्र जैसा पृष्ठ खुलेगा, जहां से थीम चुने जा सकते हैं।
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