राजनीतिक दर्शन
दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान का उप-अनुशासन / From Wikipedia, the free encyclopedia
राजनीतिक दर्शनशास्त्र या राजनीतिक सिद्धांत, सरकार का दार्शनिक अध्ययन है, जो सार्वजनिक(सरकारी) कर्तुओं और संस्थानों की प्रकृति, दायरे और वैधता तथा उनके बीच संबंधों के बारे में प्रश्नों को संबोधित करता है। यह मूल्यमिमांसा की वह शाखा है जो मानव समाजिक संस्थापनाओं, समाज में रह रहे व्यक्ति की प्रकृति,उसका समाज के साथ सम्बन्ध,तथा उस समाज को सर्वोत्तम रुप से कैसे व्यवस्थित करें, उसका अध्य्यन करती है।[1] इसके अन्तर्गत राजनीति, स्वतंत्रता, न्याय, सम्पत्ति, अधिकार, कानून(सन्नियम) तथा प्रधिकरण द्वारा कानूनों का प्रवर्तन,आदि विषयों से सम्बन्धित प्रश्नों पर चिन्तन किया जाता है: ये क्या हैं, उनकी आवश्यकता क्यों हैं, सरकार को 'वैध' क्या बनाती है, किन अधिकारों और स्वतंत्रताओं की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है, विधि क्या है, किसी वैध सरकार के प्रति नागरिकों के क्या कर्त्तव्य हैं, कब किसी सरकार को उकाड़ फेंकना वैध है, इत्यादि।
राजनीतिक दर्शनशास्त्र | |
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विद्या विवरण | |
अधिवर्ग | दर्शनशास्त्र, मूल्यमीमांसा |
विषयवस्तु | सामूहिक जीवन को कैसे व्यवस्थित किया जाए - हमारी राजनीतिक-समाजिक संस्थाएं और,आर्थिक प्रणाली और पारिवारिक जीवन की नीति |
शाखाएं व उपवर्ग | राजनीतिक यथार्थवाद, राजनीतिक आदर्शवाद, राजतंत्रवाद, उदारवाद, रूढ़िवाद, साम्यवाद, समाजवाद, स्वतंत्रतावाद, अराजकतावाद, नारीवाद |
प्रमुख विद्वान् | प्लेटो, अरस्तू, सिसरो, चाणक्य, थॉमस एक्विनास , मैकियावेली, मॉन्टेस्क्यू, रूसो, थॉमस हॉब्स, जॉन लॉक,जॉन स्टुअर्ट मिल, हेगल, मार्क्स, एड्मंड बर्के, हन्ना आर्डेन्ट, जॉन रॉल्स, रॉबर्ट नोज़िक, इसाय बर्लिन |
इतिहास | राजनीतिक दर्शन का इतिहास |
प्रमुख विचार व अवधारणाएं | विधि, संविधान, सरकार के प्रकार, राजनीतिक समानता, मार्क्सवाद, संपत्ति, द्वंदात्मक भौतिकवाद, स्वतंत्रता की दो अवधारणाएं, समाजिक संविदा |
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प्राचीन काल में सारा व्यवस्थित चिंतन दर्शन के अंतर्गत होता था, अतः सारी विद्याएं दर्शन के विचार क्षेत्र में आती थी। राजनीति सिद्धान्त के अन्तर्गत राजनीति के भिन्न भिन्न पक्षों का अध्ययन किया जाता हैं। राजनीति का संबंध मनुष्यों के सार्वजनिक जीवन से हैं। परम्परागत अध्ययन में चिन्तन मूलक पद्धति की प्रधानता थी जिसमें सभी तत्वों का निरीक्षण तो नहीं किया जाता हैं, परन्तु तर्क शक्ति के आधार पर उसके सारे संभावित पक्षों, परस्पर संबंधों प्रभावों और परिणामों पर विचार किया जाता हैं।