शिशुनाग वंश
प्राचीन भारत एवं मगध का चौथा राजवंश / From Wikipedia, the free encyclopedia
शिशुनाग राजवंश मगध पर शासन करने वाला दूसरा राजवंश था। शिशुनाग राजवंश मे कुल छह राजाओं द्वारा लगभग 413 से 345 ई.पू मे 68 वर्षों तक शासन किया था।[1] शिशुनाग राजवंश की स्थापना 413 ई.पू. में शिशुनाग के द्वारा हर्यक वंश के अंतिम शासक महाराजा नागदशक की हत्या करने के बाद की गई थी।[2] शिशुनाग वंश के राजाओं ने मगध की प्राचीन राजधानी गिरिव्रज (राजगृह) और वैशाली को अपनी राजधानी बना कर शासन किया था।
सामान्य तथ्य शिशुनाग राजवंश, राजधानी ...
शिशुनाग राजवंश | |||||||||||||
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ल. 413 – ल. 345 ई.पू | |||||||||||||
राजधानी | गिरिव्रज पाटलीपुत्र साथ ही वैशाली | ||||||||||||
प्रचलित भाषाएँ | संस्कृत (मुख्य) मागधी प्राकृत | ||||||||||||
धर्म | हिंदू धर्म साथ ही जैन धर्म और बौद्ध धर्म | ||||||||||||
सरकार | राजतन्त्र | ||||||||||||
सम्राट | |||||||||||||
• ल. 413–395 ई.पू (प्रथम) | शिशुनाग | ||||||||||||
• ल. 395–377 ई.पू (मुख्य) | कालाशोक | ||||||||||||
• ल. 349–345 ई.पू (अंतिम) | नन्दिवर्मन | ||||||||||||
ऐतिहासिक युग | लौह युग | ||||||||||||
मुद्रा | पण | ||||||||||||
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अब जिस देश का हिस्सा है | भारत |
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