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वराहगिरी वेङ्कट गिरी (१० अगस्ट १८९४ - २४ जुन १९८०) एक भारतीय राजनीतिज्ञ र कार्यकर्ता थिए जसले २४ अगस्ट १९६९ देखि २४ अगस्ट १९७४ सम्म भारतको चौथो राष्ट्रपतिको रूपमा सेवा गरेका थिए। उनले १३ मे १९६७ देखि ३ मे १९६९ सम्म भारतको तेस्रो उपराष्ट्रपतिको रूपमा पनि काम गरेका थिए। उनी स्वतन्त्र उम्मेदवारको रूपमा निर्वाचित हुने पहिलो राष्ट्रपति थिए।[3] उनी पछि सन् १९७४ मा फखरुद्दीन अली अहमद राष्ट्रपति बनेका थिए।[4] आफ्नो कार्यकाल सकिए पछि गिरीलाई भारत सरकारले सन् १९७५ मा भारत रत्नबाट सम्मानित गरेको थियो। २४ जुन १९८० मा उनको निधन भएको थियो।
वराहगिरी वेङ्कट गिरी | |
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भारतको चौथो राष्ट्रपति | |
कार्यकाल २४ अगस्ट १९६९ – २४ अगस्ट १९७४ | |
प्रधानमन्त्री | इन्दिरा गान्धी |
उपराष्ट्रपति | गोपाल स्वरूप पाठक |
पूर्वाधिकारी | उनी आफै [lower-alpha 1] |
उतराधिकारी | फखरुद्दीन अली अहमद |
कार्यकाल ३ मे १९६९ – २० जुलाई १९६९ (कार्यकारी) | |
प्रधानमन्त्री | इन्दिरा गान्धी |
पूर्वाधिकारी | जाकिर हुसेन |
उतराधिकारी | उनी आफै [lower-alpha 2] |
भारतको तेस्रो उपराष्ट्रपति | |
कार्यकाल १४ मे १९६७ – ३ मे १९६९ | |
राष्ट्रपति | जाकिर हुसेन |
प्रधानमन्त्री | इन्दिरा गान्धी |
पूर्वाधिकारी | जाकिर हुसेन |
उतराधिकारी | गोपाल स्वरूप पाठक |
कर्नाटकको राज्यपाल | |
कार्यकाल २ अप्रिल १९६५ – १३ मे १९६७ | |
प्रधानमन्त्री | इन्दिरा गान्धी |
मुख्यमन्त्री | सिधवनहल्ली निजलिङ्गप्पा |
पूर्वाधिकारी | सत्यवन्त मल्लान्नाह श्रीनागेश |
उतराधिकारी | गोपाल स्वरूप पाठक |
केरलको राज्यपाल | |
कार्यकाल १ जुलाई १९६० – २ अप्रिल १९६५ | |
मुख्यमन्त्री |
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पूर्वाधिकारी | बुर्गुला रामकृष्ण राव |
उतराधिकारी | अजीतप्रसाद जैन |
उत्तर प्रदेशको राज्यपाल | |
कार्यकाल १० जुन १९५७ – ३० जुन १९६० | |
मुख्यमन्त्री | सम्पूर्णानन्द |
पूर्वाधिकारी | कन्हैयालाल माणिकलाल मुन्शी |
उतराधिकारी | बुर्गुला रामकृष्ण राव |
मद्रास प्रदेशको लागि उद्योगमन्त्री | |
कार्यकाल ३० अप्रिल १९४६ – २३ मार्च १९४७ | |
मुख्यमन्त्री | तुङ्गुतुरी प्रकाशम |
व्यक्तिगत विवरण | |
जन्म | वराहगिरी वेङ्कट गिरी १० अगस्ट १८९४ ब्रह्मपुर, मद्रास रियासत, बेलायती भारत (हाल ब्रह्मपुर, ओडिसा, भारत) |
मृत्यु | २४ जुन १९८० ८५) मद्रास, तमिलनाडु, भारत (हाल चेन्नई) | (उमेर
मृत्युुको कारण | हृदयाघात |
राष्ट्रियता | भारतीय |
राजनीतिक दल | स्वतन्त्र |
जीवन साथी | सरस्वती बाई
( वि १९२६; मृत्यु १९७८) |
सन्तान(हरू) | १४ |
आफन्तहरू | अद्रुती लक्ष्मीबाई (दिदी)[1] पालागुम्मि साईनाथ (नाति) |
मातृ शिक्षाप्रतिष्ठान |
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जीवनवृति |
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पुरस्कार | भारत रत्न (सन् १९७५) |
उनको २४ जुन १९८० मा मद्रासमा हृदयाघातका कारण मृत्यु भएको थियो।[5]
अर्को दिन उनको राजकीय अन्त्येष्टि गरिएको थियो र भारत सरकारले एक हप्ता लामो शोक अवधिको घोषणा गरेको थियो।[6]
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