दर्शनशास्त्र
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दर्शनशास्त्र (अंग्रेज़ी-philosophy, यूनानी- φιλοσοφία, अर्थात् "प्रज्ञान से प्रेम" [1][2]) सामान्य और मौलिक प्रश्नों का सुव्यवस्थित अध्ययन है, जैसे की अस्तित्व, तर्क, ज्ञान, मूल्य, मन और भाषा से संबंधित।[3][4] दर्शन वास्तविकता के मौलिक सत्य को तर्कबद्ध रूप से समझने और व्याख्या करने का प्रयास है, यथार्थ की परख के लिये एक दृष्टिकोण है।[5][6][7] यह मौलिक प्रश्नों को संबोधित करने के अन्य तरीकों (जैसेकि रहस्यवाद , मिथक , या धर्म) से समालोचनात्मक, व्यवस्थित और तर्कसंगत युक्ति पर निर्भर होने के साथ-साथ अपने पूर्वनुमानों और विधियों पर चिंतन करने के कारण अलग है।[8] व्यापक अर्थ में दर्शन, तर्कपूर्ण, विधिपूर्वक एवं क्रमबद्ध विचार की कला है। इसमें भाषा का तार्किक विश्लेषण और शब्दों और अवधारणाओं के अर्थ का स्पष्टीकरण शामिल है।[9][10][11] वास्तव में, दर्शन को परिभाषित करना स्वयं में ही एक दार्शनिक प्रश्न है। कुछ स्रोतों का दावा है कि यह शब्द पाइथागोरस (लगभग ५७० - ४९५ ईसा पूर्व) द्वारा गढ़ा गया था,[12][13][14] हालांकि यह पूर्णतः निश्चित नहीं है।[15]
ऐतिहासिक रूप से, दर्शन में ज्ञान के सभी निकाय शामिल थे और इसके अभ्यासक को एक दार्शनिक के रूप में जाना जाता था।.[16]" प्राकृतिक दर्शन ", जो प्राचीन ग्रीस में एक शैक्षणिक विद्या के रूप में शुरू हुआ, इसमें खगोल विज्ञान, चिकित्सा और भौतिकी शामिल हैं।[17] उदाहरण के लिए, आइजैक न्यूटन की १६८७ की प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांत बाद में भौतिकी की एक पुस्तक के रूप में वर्गीकृत हो गई।[18][19] 19वीं शताब्दी में, आधुनिक अनुसंधान विश्वविद्यालयों के विकास, अकादमिक दर्शनशास्त्र और अन्य विषयों के वृत्तिकरण और उनमें विशेषज्ञता हासिल करने की ओर ले गए। तब से,सामाजिक उत्पादन के विकास और वैज्ञानिक ज्ञान के संचय की प्रक्रिया में अन्वीक्षण के विभिन्न क्षेत्र जो परंपरागत रूप से दर्शनशास्त्र का हिस्सा थे, दर्शनशास्त्र से पृथक होकर अलग-अलग शैक्षणिक विषय बन गए हैं, मूलतः सामाजिक विज्ञान जैसे मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, भाषा विज्ञान और अर्थशास्त्र, साथ में दर्शनशास्त्र एक स्वतन्त्र विषय के रूप में विकसित होने लगा।[20]
आज, अकादमिक दर्शन के प्रमुख उपक्षेत्रों में तत्वमीमांसा शामिल है, जो अस्तित्व और वास्तविकता की मौलिक प्रकृति से संबंधित है ; ज्ञानमीमांसा, जो ज्ञान और विश्वास की प्रकृति का अध्ययन करती है ; नीतिशास्त्र, जिसका संबंध नैतिक मूल्यों से है ; और तर्कशास्त्र ,जो अनुमान के नियमों का अध्ययन करता है जो किसी को सत्य प्रतिज्ञप्ति से निष्कर्ष निकालने देता है। अन्य उल्लेखनीय उपक्षेत्रों में धर्म-दर्शन , विज्ञान का दर्शन, राजनीतिक दर्शन, सौंदर्यशास्त्र, भाषा दर्शन, और मन का दर्शन शामिल हैं।
दार्शनिक ज्ञान तक पहुँचने के लिए दार्शनिक विभिन्न प्रकार के विधियों-पद्धतियों का उपयोग करते हैं। दार्शनिक पद्धति में प्रश्न करना, आलोचनात्मक चर्चा, तार्किक यपक्ति और व्यवस्थित प्रस्तुति शामिल है। इनमें अवधारणात्मक विश्लेषण , सामान्य बुद्धि और अंतर्ज्ञान पर निर्भरता , चिंतन प्रयोगों का उपयोग , साधारण भाषा का विश्लेषण , अनुभव का वर्णन और समीक्षात्मक प्रश्नोत्तरी भी शामिल हैं। आधुनिक दर्शनशास्त्र अनेक आधारभूत प्रश्नों का अंतर्विषयी दृष्टिकोण प्रदान करता है। दर्शन का इतिहास अत्यन्त पुराना है। यह विभिन्न सभ्यताओं, संस्कृतियों के बौद्धिक इतिहास से निकटता से जुड़ा है। प्रमुख क्षेत्रानुसार दर्शनिक परम्पराएँ : पाश्चात्य दर्शन, भारतीय दर्शन, चीनी दर्शन, इस्लामी (अरब-फारसी) दर्शन इत्यादी हैं।